यहां लड़कियों को बचपन में ही चेहरे पर गुदवाना पड़ता है टैटू, इस प्रथा के बारे में जानकर रह जाएंगे दंग
लड़कियों को बचपन में ही चेहरे पर गुदवाना पड़ता है टैटू
आज के समय में टैटू बनाना भले ही लोगों के एक स्टाइल स्टेमेंट बन गया हो, लेकिन यह प्रथा कोई नई नहीं है. सदियों पहले जहां ये टैटू लोगों की जरूरत थी तो वहीं आज के समय में टैटू लोगों का शौक और स्टाइल स्टेटमेंट बन चुका है. टैटू और जरूरत ये पढ़कर आपके मन में ख्याल तो जरूर आया होगा कि भला ये कैसे हो सकता है? जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने हम बात कर रहे हैं. पश्चिमी म्यांमार में चिन राज्य में रहने वाली लाई तू चिन जनजाति (Lai Tu Chin tribe) के बारे में, यहां टैटू सुरक्षित रहने का एक जरिया था. वैसे इसका कारण जान एक पल के लिए आप भी दंग रह जाएंगे.
स्थानीय लोगों के मुताबिक एक बार यहां बर्मा का राजा आया था, उस समय उसे यहां की महिलाएं बेहद आकर्षक लगीं. जिस कारण उसने एक महिला को अपनी रानी बनाने के लिए अगवा कर लिया. इस घटना को देखने के बाद चिन जनजाति के लो से चिन लोग डर गए और उन्होंने अपनी बेटियों के चेहरे पर टैटू गुदवा दिया और तब से ये प्रथा शुरू हो गई है. इस टैटू को लेकर एक दूसरी मान्यता यह भी है कि यहां की औरते अपने चेहरे पर टैटू इसलिए भी बनवा लेते है जिससे वो खूबसूरत लगें और इलाके की दूसरी जनजातियों से अलग नजर आएं
चेहरे पर टैटू बनवाने का एक कारण धर्म से भी जुड़ा है, कहा जाता है कि ब्रिटिश साम्राज्य स्थापित होने के बाद चिन अल्पसंख्यकों को ईसाई बनाया गया. जिसके बाद उन लोगों को भरोसा दिलाया गया कि उन्हीं ईसाइयों को जन्नत नसीब होगी जिनके चेहरे पर टैटू बना होगा. आपकी जानकार हैरानी होगी कि यहां कि कई महिलाओं ने तो पूरे शरीर पर टैटू बनवाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड सेट कर लिया है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोशलिस्ट सरकार ने 1960 के दशक में इसको अमानवीय घोषित कर पूरी तरीके से बैन लगा दिया है. यही वजह है कि उससे पहले की ही महिलाओं के चेहरों पर टैटू नजर आते हैं. जिस कारण इस वक्त इस इलाके में बुजुर्ग पीढ़ी टैटू वाली आखिरी पीढ़ी है. इसके बाद ये प्रथा यहां से पूरी तरह गायब हो जाएगी.