क्या सुलझ गया ब्रह्मांड का सबसे बड़ा रहस्य?, ब्लैक होल को लेकर पढ़ें ये जानकरी

ब्लैक होल को लेकर पढ़ें ये जानकरी

Update: 2022-01-06 07:37 GMT
वाशिंगटन: ब्लैक होल अंतरिक्ष में मौजूद वे स्थान हैं जहां बेहद उच्च गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा मौजूद होती है। कोई भी चीज इनके आरपास नहीं जा सकता, यहां तक कि प्रकाश भी इनसे होकर नहीं गुजर सकता है। ब्लैक होल हमेशा से ही खगोल विज्ञान की सबसे रहस्यमय चीजों में से रहे हैं और इनकी उत्पत्ति सबसे बड़ा सवाल रहा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सुपरमैसिव ब्लैक होल उन प्राइमॉर्डियल ब्लैक होल से बने होंगे जो बिग बैंग के ठीक बाद अस्तित्व में आए थे।
ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुए? इसके लिए एक वैकल्पिक मॉडल में खगोलविदों की एक टीम का प्रस्ताव है कि सुपरमैसिव ब्लैक होल और डार्क मैटर दोनों को तथाकथित 'प्राइमॉर्डियल ब्लैक होल' से समझा जा सकता है। उनके मॉडल से पता चलता है कि ब्रह्मांड की शुरुआत से ही ब्लैक होल मौजूद थे। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर ज्यादातर ब्लैक होल बिग बैंग के तुरंत बाद बने तो वे समय के साथ अधिक से अधिक विशाल ब्लैक होल बनाते हुए, प्रारंभिक ब्रह्मांड में विलय होते चले गए।
अगर बड़े ब्लैक होल हैं तो छोटे भी हो सकते हैं
अध्ययन के सह-लेखक गुंथर हसिंगर कहते हैं कि विभिन्न आकार के ब्लैक होल आज भी एक रहस्य हैं। हमें नहीं समझ आता कि ब्रह्मांड के अस्तित्व में आने के बाद उपलब्ध अपेक्षाकृत कम समय में सुपरमैसिव ब्लैक होल इतने विशाल कैसे हो सकते हैं। अध्ययन इस तथ्य की ओर भी इशारा करता है कि अगर सुपरमैसिव ब्लैक होल मौजूद हैं, तो बहुत छोटे ब्लैक होल भी हो सकते हैं। छोटे ब्लैक होल केवल प्राइमरी ब्लैक होल हो सकते हैं जो अभी तक बड़े ब्लैक होल में विलीन नहीं हुए हैं।
क्या ब्लैक होल से भर जाएगा ब्रह्मांड
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि इस मॉडल के अनुसार ब्रह्मांड एक दिन हर तरफ ब्लैक होल से भर जाएगा। अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन हबल ने 20वीं शताब्दी में सबसे पहले देखा था कि आकाशगंगाएं हमसे दूर हो रही हैं। वे जितना दूर जा रही हैं उतनी तेजी से चल रही हैं। इस खोज ने यह पुष्टि की थी कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, हालांकि वैज्ञानिक इसके पीछे के कारकों को स्पष्ट करने में असमर्थ रहे हैं। अमेरिका भर के अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने 100 साल पुरानी हबल की थ्योरी के आधार पर एक चौंकाने वाली खोज की है।
अपना आकार बढ़ा रहे ब्लैक होल
मानोआ में हवाई विश्वविद्यालय, शिकागो विश्वविद्यालय और एन आर्बर में मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का मानना है कि उन्होंने ब्रह्मांड की इस पहेली को सुलझा लिया है। एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में कुछ महीने पहले प्रकाशित एक रिसर्च में, वैज्ञानिकों ने प्रस्तावित किया था कि ब्रह्मांड के विस्तार से ब्लैक होल अधिक विशाल हो सकते हैं। ब्लैक होल अपनी ओर आने वाले प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं इसलिए उन्हें नंगी आंखों नहीं देखा जा सकता। कुछ ब्लैक होल का आकार सूर्य से 50 से 100 गुना बड़ा हो सकता है।
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