अफगानिस्तान में आधी आबादी ने बदला विरोध का तरीका, 'आवाज' को परवाज दे रहीं दीवारें

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं और कार्यकर्ताओं ने इस्लामी अमीरात सुरक्षा बलों की हिंसा से बचने के लिए अपने विरोध का तरीका बदल दिया है।

Update: 2022-01-12 00:45 GMT

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं और कार्यकर्ताओं ने इस्लामी अमीरात सुरक्षा बलों की हिंसा से बचने के लिए अपने विरोध का तरीका बदल दिया है। महिलाएं अब रात में दीवारों पर अपनी मांगों को लिखकर अपना विरोध जता रही हैं

हालांकि मंगलवार को भी यहां कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने तालिबान शासन का विरोध जताया। महिला प्रदर्शनकारियों ने बताया कि उन्होंने सड़कों पर दिन के वक्त होने वाली हिंसा से बचने के लिए न सिर्फ दीवारों पर लिखना शुरू कर दिया है बल्कि लड़कियों के शिक्षा अधिकार, महिलाओं के काम का अधिकार, उनके कपड़ों की पसंद और सामाजिक व राजनीतिक जीवन में महिलाओं को शामिल करने के नारे लगाना जारी रखा है।

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, आंदोलन का यह एक नया तरीका है। एक प्रदर्शनकारी तमाना रेजाई ने कहा, हमें लगातार धमकियों व हिंसा का सामना करना पड़ा है इसलिए हमने अपने मौलिक अधिकारों के लिए भित्ति चित्रों की तरफ अपना रुख किया और इसे जारी रखेंगे। एक अन्य प्रदर्शनकारी लेडा और अजीज गुल ने कहा, महिलाओं को कपड़े पहनने की हिदायतें दी जा रही हैं, हम चुप नहीं बैठेंगे और आवाज बुलंद करते रहेंगे।

80 फीसदी अफगानिस्तानी पत्रकारों ने पेशा बदला

तालिबान के देश पर कब्जे के बाद करीब 80 फीसदी अफगानिस्तानी पत्रकारों ने अपना पेशा बदल लिया है। द खामा प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान के पत्रकार फाउंडेशन ने कहा है कि देश के पत्रकार सबसे खराब आर्थिक हालात से गुजर रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण 79 फीसदी की नौकरी चली जाना है।

आंकड़े बताते हैं कि देश में 75 फीसदी तक मीडिया वित्तीय संकट के कारण बंद हो गया है। नंगरहार, लघमन, नूरिस्तान के पूर्वी प्रांतों में छह रेडियो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं। देश में 40 प्रतिशत मीडिया आउटलेट ने काम करना बंद कर दिया है, और 80 प्रतिशत महिला पत्रकार और मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गई हैं।


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