हैबतुल्लाह अखुंदजादा साल 2020 में एक आत्मघाती हमले में मारा गया था, तालिबान ने कर दिया कन्फर्म
हैबतुल्लाह अखुंदजादा को एक सैनिक के बजाय एक धार्मिक कानूनी विद्वान के रूप में वर्णित किया जाता था।
अफगानिस्तान की सत्ता में 20 साल बाद वापसी करने वाले तालिबान ने अपने सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा को लेकर जारी सस्पेंस से पर्दा उठा दिया है। महीनों से चले आ रही अटकलों को विराम देते हुए अब तालिबान ने सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत की पुष्टि कर दी है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आतंकी संगठन ने बताया कि 2016 से तालिबान का मुखिया रहा हैबतुल्लाह अखुंदजादा साल 2020 में पाकिस्तान में एक आत्मघाती हमले में मारा गया था। बता दें कि 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था और उसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि अखुंदजादा अब सार्वजनिक तौर पर सबके सामने आएगा।
दरअसल, अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद से ही सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि आखिर तालिबान का मुखिया अखुंदजादा कहां है। इससे पहले हैबतुल्लाह अखुंदजादा के गायब होने रहने पर कई तरह की अटकलें थीं। कोई मरने की बात कहता था तो कोई जेल में बंद करने की, मगर तालिबान ने चुप्पी साध रखी थी। मगर अब उसने कन्फर्म कर दिया है कि उसका सुप्रीम लीडर मारा जा चुका है। अखुंदजादा पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा समर्थित आत्मघाती हमले में मारा गया था।
CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के सीनियर नेता आमिर-अल-मुमिनिन ने कहा कि हैबतुल्लाह अखुंदजादा पाक सेनाओं द्वारा समर्थित आत्मघाती हमले में 'शहीद' हो गया था। हैबतुल्लाह अखुंदजादा आज तक कभी भी लोगों के सामने नहीं आया और वह एक रहस्य ही बनकर रहा। न्यू यॉर्क पोस्ट के होली मैक काय के मुताबिक हैबतुल्लाह अखुंदजादा की इंटरनेट पर तस्वीर भी बरसों पुरानी है। अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी के बाद ऐसी उम्मीदें थीं कि अब अखुंदजादा सार्वजनिक रूप से सबके सामने आएगा, मगर काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद भी वह सामने नहीं आया तो ऐसे में अफवाहों का दौर शुरू हो गया। मौत की अफवाहें तो तालिबान नेताओं के बीच भी चलने लगीं कि क्या सच में अखुंदजादा जिंदा नहीं है?
2016 में हैबतुल्लाह अखुंदजादा को आतंकी समहू का चीफ नियुक्त किया गया था। उस वक्त तालिबान द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो संदेश के मुताबिक, हैबतुल्लाह अखुंदजादा आतंकी मंसूर का डिप्टी था, मगर ड्रोन हमले में उसकी मौत के बाद उसे गद्दी मिली थी। पाकिस्तान में एक बैठक के दौरान प्रमोट कर उसे तालिबान का सुप्रीम लीडर बनाया गया था। हैबतुल्लाह अखुंदजादा को एक सैनिक के बजाय एक धार्मिक कानूनी विद्वान के रूप में वर्णित किया जाता था।