ग्‍वादर पोर्ट, सीपीईसी का सबसे अहम प्रोजेक्‍ट, पाकिस्‍तान आया टेंशन में, इमरान सरकार को किया गया आगाह

91 फीसदी रेवेन्‍यू मिलना था तो बाकी का 9 फीसदी प्रांतीय सरकार के हिस्‍से जाना था.

Update: 2021-10-12 11:02 GMT

पाकिस्‍तान (Pakistan) के लिए चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्‍ट काफी महत्‍वपूर्ण है. इस प्रोजेक्‍ट के तहत ग्‍वादर बंदरगाह (Gwadar Port) और फ्री जोन के डेवलपमेंट पर पाकिस्‍तान के साथ ही पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं. मगर आधिकारिक रिपोर्ट की मानें तो इस प्रोजेक्‍ट से जुड़े कई बड़े काम अभी तक अटके हुए हैं.

ग्‍वादर बंदरगाह, सीपीईसी का सेंटर प्रोजेक्‍ट है और इसके इर्द-गिर्द ही इस प्रोजेक्‍ट की सफलता घूमती है. लेकिन सीपीईसी पर बनी कैबिनेट कमेटी की जो रिपोर्ट आई है, वो प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए परेशान करने वाली हो सकती है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के साथ हुए पोर्ट कंसेशन एग्रीमेंट को एक बार फिर से देखने की जरूरत है.
समझौते पर फिर से आकलन की जरूरत
पाकिस्‍तान के अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून की एक रिपोर्ट की मानें ग्‍वादर के डेवलपमेंट के लिए समझौते पर नजर दौड़ाना अब अहम हो गया है. ग्‍वादर को सीपीईसी का ताज कहा जाता है. एक अधिकारी की तरफ से कहा गया है कि ग्‍वादर जिसे पिछले कई सालों से सीपीईसी का केंद्र बिंदु कहा जा रहा है, उसे अभी उम्‍मीद के मुताबिक ऊंचाईयों का छूना है. जो औद्योगिक आशाएं इस प्रोजेक्‍ट से लगी थीं और जिस घरेलू और विदेशी निवेश की उम्‍मीद जताई गई थी, वो अभी तक अधूरी है.
अधिकारी के शब्‍दों में, 'ग्‍वादर को अभी अपनी पहली झलक दिखाना बाकी है. रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्‍तान की तरफ से भले ही कई आकर्षक पैकेज दिए गए मगर ग्‍वादर पर निवेश के लिए रूचि न के बराबर होना, स्थितियों को मुश्किल कर देती है.
जून में भेजी गई थी पीएम इमरान को रिपोर्ट
इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री के ऑफिस में इस वर्ष जून में भेजा गया था. रिपोर्ट में कमियों को सुधारने के साथ ही प्रोजेक्‍ट पर जारी गलत बातों का भी जिक्र किया गया था. रिपोर्ट में सरकार को चीन के साथ बंदरगाह को लेकर हुए समझौते पर दोबारा नजर दौड़ाने की सलाह दी गई थी. लेकिन इसे नहीं माना गया. साथ ही पीएम के ऑफिस ने इस बात को मानने से भी इनकार कर दिया कि असीमित प्रभावों की वजह से सीपीईसी पर असर पड़ने लगा है.
ग्‍वादर फ्री जोन का डेवलपमेंट मुख्यत: इसके कंसेशंस एग्रीमेंट पर निर्भर करता है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्‍वादर प्रोजेक्‍ट में किसी भी सरकारी रोल की कोई संभावना नहीं है. नवंबर 2015 में चाइना ओवरसीज होल्डिंग्‍स कंपनी लिमिटेड (COPHCL) ने 40 साल की लीज पर ग्‍वादर पोर्ट को समझौते के तहत लिया था. समझौते के तहत पोर्ट ऑपरेटर्स को 91 फीसदी रेवेन्‍यू मिलना था तो बाकी का 9 फीसदी प्रांतीय सरकार के हिस्‍से जाना था.

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