गोटबाया राजपक्षे: UNHRC के दबाव में नहीं झुकेगी सरकार, प्रस्ताव के पीछे 'स्थानीय और विदेशी ताकतें'

प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने विश्व के कई मुस्लिम नेताओं को फोन किए थे.

Update: 2021-03-29 03:14 GMT

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa) ने रविवार को कहा कि उनके देश के खिलाफ यूएनएचआरसी (UNHRC) में हाल में पारित प्रस्ताव के पीछे स्थानीय और विदेशी ताकतें हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ऐसे दबावों के आगे नहीं झुकेगी. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने मंगलवार को श्रीलंका (Sri Lanka) के मानवाधिकार रिकॉर्ड के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था.

इस प्रस्ताव ने संयुक्त राष्ट्र संस्था को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ देश के तीन दशक लंबे चले गृहयुद्ध के दौरान किए गए अपराधों के सबूत इकट्ठा करने का एक आदेश दिया है. रविवार को दक्षिणी मटारा ग्रामीण जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए राजपक्षे ने कहा कि हम यूएनएचआरसी प्रस्ताव जैसे दबावों के आगे कभी नहीं झुकेंगे, हम एक स्वतंत्र राष्ट्र हैं.
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को लगा झटका
उन्होंने कहा कि हम हिंद महासागर में बड़ी शक्ति प्रतिद्वंद्विता के शिकार नहीं होंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि यूएनएचआरसी के प्रस्ताव के पीछे 'विदेशी और स्थानीय ताकतें' हैं जो उनकी सरकार को प्रगति करते हुए नहीं देख सकतीं.

बता दें कि कुछ दिनों पहले जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड के खिलाफ एक कड़ा प्रस्ताव पारित किया था, जो कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के लिए एक झटका है जिन्होंने इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए काफी प्रयास किए थे. यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र निकाय को लिट्टे के खिलाफ गृह युद्ध में देश द्वारा किए गए अपराधों के संबंध में साक्ष्य एकत्रित करने को अधिकृत करता है.

मतदान में शामिल नहीं हुआ भारत
यूएनएचआरसी ने 'प्रमोशन ऑफ रीकंसिलिएशन अकाउंटैबिलिटी एंड ह्यूमन राइट्स इन श्रीलंका' शीर्षक वाला प्रस्ताव पारित किया. यूएनएचआरसी के 46वें सत्र के दौरान प्रस्ताव के समर्थन में 47 में से 22 सदस्यों ने मतदान किया था जबकि ग्यारह सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया था.
भारत और जापान उन 14 देशों में शामिल थे, जो मतदान में शामिल नहीं हुए. पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और रूस सहित 11 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. श्रीलंका के राजदूत एमसीए चंद्रप्रमा ने मसौदा प्रस्ताव को 'अवांछित, अनुचित और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रासंगिक अनुच्छेदों का उल्लंघन बताया.'

मुस्लिम नेताओं को फोन कर जुटाया समर्थन
उन्होंने प्रस्ताव को 'विभाजनकारी' बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि इससे श्रीलंकाई समाज में ध्रुवीकरण होगा और आर्थिक विकास, शांति और सौहार्द प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा. राष्ट्रपति राजपक्षे सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय समर्थन के प्रयास करने के बावजूद प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव पर मतदान से पहले गोटबाया और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने विश्व के कई मुस्लिम नेताओं को फोन किए थे.


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