गूगल एक बार फिर यूरोपीय संघ के निशाने पर, ऑनलाइन विज्ञापन में प्रभुत्व का गलत इस्तेमाल करने का शक
गूगल एक बार फिर यूरोपीय संघ के निशाने पर
ब्रुसेल्स, गूगल एक बार फिर यूरोपीय संघ के निशाने पर है। उन्होंने गूगल के खिलाफ फिर से जांच शुरू कर दी है। यूरोपीय संघ को संशय है कि गूगल, डिजिटल विज्ञापन व्यवसाय के तहत अपनी अल्फाबेट इकाई को प्रतिद्वंद्वियों और विज्ञापनदाताओं की तुलना में अनुचित लाभ देता है।
कई बार लग चुका है जुर्माना
यूरोपीय संघ ने पिछले एक दशक में गूगल पर करीब आठ अरब यूरो (9.5 अरब डॉलर) का जुर्माना लगाया है। दरअसल, जांच में सामने आया था कि गूगल ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को एंड्रॉइड स्मार्टफोन, ऑनलाइन विज्ञापनों और ऑनलाइन शॉपिंग के क्षेत्र में अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करके ब्लॉक किया हुआ था। जिसके बाद जुर्माने की कार्रवाई की गई।
यूजर्स का डाटा सीमित करने का शक
यूरोपीय आयोग के मुताबिक, वो जांच करेगा कि क्या गूगल वेबसाइटों और ऐप्स पर विज्ञापनों के लिए यूजर्स का डाटा सिमित रखता है। ताकी कोई अन्य उनतक न पहुंच सके और उस डाटा को अपनी कंपनी के लिए इस्तेमाल कर रहा है। यूरोपीय प्रतिस्पर्धा आयुक्त मार्ग्रेथ वेस्टेगर ने एक बयान में कहा, "हम चिंतित हैं कि गूगल ने अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए ऑनलाइन विज्ञापन सर्विस को तकनीक स्टैक का इस्तेमाल करके कठिन बना रहा है।"
हजारों करोड़ में है गूगल का राजस्व
गूगल ने पिछले साल ऑनलाइन विज्ञापनों से करीब 147 अरब डॉलर का राजस्व अर्जित किया। जो दुनिया की किसी भी अन्य कंपनी की तुलना में अधिक है। इसमें से लगभग 16प्रतिशत राजस्व कंपनी के प्रदर्शन या नेटवर्क व्यवसाय से आता है। जिसमें अन्य मीडिया कंपनियां अपनी वेबसाइट और ऐप्स पर विज्ञापन बेचने के लिए गूगल की तकनीक का इस्तेमाल करती हैं। गूगल ने जांच को लेकर कहा है कि वो आयोग के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ेगा। कंपनी के एक प्रवक्ता के अनुसार, "हजारों यूरोपीय व्यवसाय हमारे विज्ञापन उत्पादों का इस्तेमाल नए ग्राहकों तक पहुंचने के लिए हर दिन करती हैं। ताकी वो अपनी वेबसाइटों के लिए रेवेन्यू बना सकें।
अन्य देशों में भी गूगल पर हैं जांच
गूगल का एडटेक बिजनेस अमेरिका में भी जांच की चपेट में है। देश के न्याय विभाग के साथ कुछ अन्य राज्यों ने पिछले साल विज्ञापनों में अपने प्रभुत्व का गलत इस्तेमाल करने के लिए मुकदमा दायर किया था। जिसके बाद मुकदमे के दौरान टेक्सास के नेतृत्व में राज्यों के एक समूह ने नेटवर्क के प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार पर ध्यान केंद्रित किया था।