गूगल मैप यूजर्स ने साइबेरियाई टुंड्रा में रहस्यमयी खोज की, तस्वीर देखकर डरे लोग
इसमें 16,378 में से लगभग 1,000 मारे गए थे. इस शिविर को 1957 में बंद कर दिया गया था.
गूगल मैप आजकल हर किसी की जरूरत बन गया है. कहीं भी जाना हो, या किसी भी जगह के बारे में पता करना है, गूगल मैप के जरिए आसानी से पता चल जाता है. इसी बीच गूगल मैप यूजर्स ने रूस के साइबेरियाई टुंड्रा में गहरी खोज की है. मैप की तस्वीरों में इमारतें व भूरे रंग के मलबे के ढेर दिख रहे हैं.
मिला श्रमिक शिविर
डेली स्टार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, गूगल मैप के रिडिट पेज पर एक व्यक्ति ने इस रहस्यमयी साइट के बारे में जानकारी दी. उन्होंने जानकारी देते हुए पेज पर लिखा कि यह वास्तव में नोरिलैग श्रमिक शिविर है. इसमें आप पश्चिम दिशा की तरफ शिविर से जुड़ी खनन सुविधा भी देख सकते हैं.
कैदियों जाता था रखा
नोरिलग एक नोरिल्स्क श्रम शिविर था, जो रूस के डरावने शिविरों में से एक था. इस शिविर का परिचालन 25 जून 1935 से 22 अगस्त 1956 तक किया गया था. यहां पर कैदियों को रखा जाता था, जो रूसी खनन और नोरिल्स्क निकेल कंपनी के लिए काम करते थे.
स्टालिन के समय में हुआ था काम
हालांकि, समय के साथ इन श्रमिकों का इस्तेमाल मछली पकड़ने सहित अन्य कामों के लिए किया गया. इन्होंने वहां के तानाशाह जोसेफ स्टालिन के लिए एक घर का पुनर्निर्माण भी कराया था.
साइट पर हजारों की तादाद में थे कैदी
1935 में इस साइट में सिर्फ 1,200 कैदी थे, लेकिन 1936 में शुरू हुए राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और असंतुष्टों को बाहर निकालने के लिए स्टालिन के अभियान के तहत यहां के कैदियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई. 1937 तक यहां कैदियों की संख्या बढ़कर 9,000 हो गई थी. 1951 तक वहां 72,500 लोगों को 30 अलग-अलग शिविरों में रखा गया था.
विद्रोह के बाद कर दिया गया था बंद
मानवाधिकार समूह मेमोरियल के अनुसार, नोरिलैग में कुल 400,000 लोग रहते थे. गूगल मैप की तस्वीर पर एक व्यक्ति ने कमेंट करते हुए लिखा कि यह सबसे निराशाजनक स्थानों में से एक है, जिसे शायद ही मैंने कभी देखा हो. यह साइट कैदियों की उस फीलिंग्स को शेयर करती है, जिसमें 1953 में स्टालिन की मौत के बाद विद्रोह हुआ था, जिसे नोरिल्स्क विद्रोह के रूप में जाना जाता है. यह विद्रोह 69 दिनों तक चला और इसमें 16,378 में से लगभग 1,000 मारे गए थे. इस शिविर को 1957 में बंद कर दिया गया था.