Giant Crystal Cave: धरती के नीचे गुफा में दबे विशालकाय क्रिस्टल पिलर्स, बिना कूलिंग सूट के अंदर जाना मुश्किल

बिना कूलिंग सूट के अंदर जाना मुश्किल

Update: 2021-11-24 09:35 GMT
मैक्सिको सिटी: मैक्सिको में 'जायंट क्रिस्टल केव' एक खदान है जो अपने असाधारण सेलेनाइट क्रिस्टल के लिए लोकप्रिय है। चिहुआहुआ में सिएरा डे नाइका पर्वत से लगभग 984 फीट नीचे दबे हुए विशाल क्रिस्टल पिलर्स हैं। इस खदान की खोज 2000 में दो भाइयों ने की थी, जो इंडस्ट्रियल पेनोल्स के लिए काम करते थे। वे कथित तौर पर नाइका पर्वत के नीचे एक सुरंग का खनन कर रहे थे और गलती से इस खदान से टकरा गए।
ये क्रिस्टल वास्तव में जिप्सम से बने हैं, जो एक तरह का खनिज है जिसका इस्तेमाल कागज और कपड़ा उद्योगों में फिलर के रूप में किया जाता है। इसका इस्तेमाल सीमेंट बनाने में भी किया जाता है। यह हैरानी की बात है कि ये क्रिस्टल स्तंभ 5,00,000 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। इनमें से कई इतने बड़े हैं कि उन पर आसानी से चला जा सकता है। चूंकि ये कई सालों तक पृथ्वी के नीचे दबे रहे इसलिए क्रिस्टल लगातार बढ़ते रहे।
बिना कूलिंग सूट के गुफा में जाना मुश्किल
साइंस हाउ स्टफ वर्क्स वेबसाइट के अनुसार इंसान विशेष कूलिंग सूट के बिना गुफा में प्रवेश नहीं कर सकता। 90 से 99 फीसदी आर्द्रता के साथ गुफा के अंदर का तापमान 58 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। इसके अंदर प्राकृतिक प्रकाश नहीं होता और हवा भी अम्लीय होती है, जो इसे इंसानों के लिए खतरनाक बनाती है। इन क्रिस्टल के नीचे बहुत गर्म तरलीकृत चट्टानें, यानी मैग्मा पाई गई थीं।
कैसे बनना शुरू हुए विशालकाय क्रिस्टल
करीब 26 मिलियन साल पहले कैल्शियम सल्फेट से युक्त भूजल गुफाओं में प्रवेश करता था और नीचे मैग्मा से गर्म होता था, जिससे विशाल क्रिस्टल बनने लगे। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा हुआ होगा कि जब मैग्मा निकला तो गुफा में भूजल 98 फीट ऊंचा और 33 फीट चौड़ा था। गुफा का तापमान 58 डिग्री सेल्सियस से अधिक था और ऐसे तापमान पर पानी में मौजूद एनहाइड्राइट अपने मूल रूप में बना रहा, लेकिन जैसे ही तापमान 58 डिग्री से थोड़ा नीचे चला गया, उसने क्रिस्टल का आकार लेना शुरू कर दिया।
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