दोस्ती वाला कारोबार: यूक्रेन युद्ध ने शुरू की भारत के सामने नई चुनौतियां, जानें रक्षा कारोबार में रूस का कितना हिस्सा?

Update: 2022-03-01 07:36 GMT

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन में जंग अब और बढ़ती जा रही है. 6 दिन बीत चुके हैं और लड़ाई अब तक किसी अंजाम तक नहीं पहुंची है. यूक्रेन पर हमला करने पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई सारे प्रतिबंध लगा दिए हैं. इन प्रतिबंधों का भारत और रूस के बीच हुए रक्षा समझौतों पर भी असर पड़ने की आशंका है. रूस का कहना है कि इससे भारत के साथ हुई डिफेंस डील प्रभावित नहीं होगी, लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि असर तो पड़ेगा ही.

हथियारों के लिए भारत रूस पर सबसे ज्यादा निर्भर है. इसमें S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी शामिल है. S-400 रूस की सबसे एडवांस्ड मिसाइल है, जो जमीन से हवा में मार करने में सक्षम है. अमेरिका की चेतावनी के बावजूद भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5 अरब डॉलर में S-400 की डील की थी.
दुनियाभर में हथियारों के आयात-निर्यात पर नजर रखने वाली स्वीडिश संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत अपने आधे से ज्यादा हथियार रूस से खरीदता है. हालांकि, हथियारों के लिए भारत की रूस पर निर्भरता कम भी हो रही है. 2011 से 2015 तक भारत ने 70% हथियार रूस से खरीदे थे, वहीं 2016 से 2020 के बीच ये आंकड़ा कम होकर 49% पर आ गया. जबकि, यूक्रेन से भारत सिर्फ 0.5% हथियार खरीदता है.
1970 से ही भारत और रूस के रणनीतिक साझेदारी रही है. मिलिट्री वेपन और टेक्नोलॉजी के लिए भारत पहले सोवियत यूनियन और फिर रूस पर निर्भर रहा है.
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) राहुल भोंसले ने बताया कि पश्चिमी देशों की ओर से लगाए प्रतिबंधों का असर रूस की डोमेस्टिक डिफेंस इंडस्ट्री पर भी होगा. उन्होंने आशंका जताई है कि इन प्रतिबंधों से S-400 समेत दूसरे हथियारों की डिलिवरी में समय लग सकता है.
हालांकि, भारत में रूस के राजनयिक रोमन बाबुश्किन ने कहा था कि मौजूदा तनाव का असर भारत के साथ संबंधों पर नहीं होगा. उनसे जब S-400 डील के बारे में सवाल किया गया था तो उन्होंने सीधा तो इसका जवाब नहीं दिया, लेकिन ये जरूर कहा कि ये प्रोजेक्ट जारी रहेगा.
भारत की सेना में रूसी हथियार
- आर्मी : भारत की सेना का मुख्य युद्धक टैंक मुख्य रूप से रूस के ही T-72M1 और T-90s हैं. हाल ही में भारत ने रूस के साथ AK-203 असॉल्ट राइफल्स का सौदा किया है. इसका प्रोडक्शन भारत में ही होगा. इसके अलावा Brahmos Missile भी भारत ने रूस के साथ मिलकर ही बनाई है.
- नेवी : नौसेना का एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर सोवियत के समय का ही कैरियर है, जिसे पुनर्निमित किया गया था. इसके अलावा नेवी के पास 10 गाइडेड मिसाइल हैं, जिनमें से 4 रूस के हैं. नेवी के पास 17 युद्धपोतों में से 6 रूस से आए हैं.
- एयरफोर्स : 29 से 30 स्क्वाड्रन में रूस के बने विमान हैं. भारत के पास करीब 272 मल्टी रोल Su-30MKIs लड़ाकू विमान हैं, जो रूस से बने हैं. इसके अलावा 100 से ज्यादा MIG 21 भी हैं.
भारत और रूस के बीच कितना कारोबार?
भारत के कारोबार में रूस की हिस्सेदारी बहुत ही कम है. पिछले 20 साल में कभी भी भारत के कारोबार में रूस की हिस्सेदारी डेढ़ फीसदी से ऊपर नहीं रही है.
भारत रूस से कॉफी, शक्कर, डेयरी प्रोडक्ट्स, मांस, तंबाकू, फार्मा प्रोडक्ट्स, लकड़ी से बने सामान, ऊन, चटाई, जूते, ग्लास, कॉपर-एल्युमिनियम-जिंक जैसी धातु खरीदता है.
इनके अलावा न्यूक्लियर रिएक्टर, एयरक्राफ्ट और स्पेसक्राफ्ट के पार्ट, हथियारों के उपकरण भी खरीदता है. साथ ही खिलौने भी खरीदता है.
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