फ्रांस के राष्ट्रपति ने पेश किया फिजूलखर्ची का एक नया उदाहरण, कर दिया ये काम

अपने Predecessors से ज्यादा खर्चा किया

Update: 2021-01-12 14:28 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पेरिस: कोरोना महामारी ने अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है. सरकारें दूसरे खर्चों में कटौती कर रहीं हैं ताकि स्वास्थ्य सेवा निर्बाध रूप से चलती रहे, लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने फिजूलखर्ची का एक नया उदाहरण पेश किया है. मैक्रों ने पिछले साल राष्ट्रपति भवन एलिसी पैलेस में केवल फूलों के ऊपर 729,000 डॉलर (53627791 रुपये) खर्च किए, जिसे लेकर अब बवाल मचा हुआ है. विपक्षी दल इस फिजूलखर्ची के लिए राष्ट्रपति को निशाना बना रहे हैं.


अपने Predecessors से ज्यादा खर्चा किया
स्थानीय मीडिया के अनुसार, इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने पिछले राष्ट्रपतियों की तुलना में 4.5 गुना अधिक खर्च किया है. फ्रेंकोइस होलांडे (Francois Hollande) ने 2015 में 162,000 डॉलर और निकोलस सरकोजी (Nicolas Sarkozy) ने 2011 में 174,000 डॉलर खर्च किए थे, जबकि मौजूदा राष्ट्रपति ने फूलों पर 729,000 डॉलर खर्च कर दिए हैं. इस खबर के वायरल होने के बाद राष्ट्रपति मैक्रों की आलोचना की जा रही है. लोगों का कहना है कि जब कोरोना महामारी से प्रभावित देश आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है, तब राष्ट्रपति का फूलों पर इतना पैसा खर्च करना हर लिहाज से गलत है.


विपक्ष ने मांगा Clarification
फ्रांस की सरकार ने हाल में ही कोरोना से प्रभावित अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 121 बिलियन डॉलर का पैकेज जारी किया है. सरकार दूसरे भी कई प्रावधानों की बात कर रही है, ताकि अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके. ऐसे में राष्ट्रपति का खुद फिजूलखर्ची करना आम जनता के साथ-साथ विपक्ष के गले नहीं उतर रहा है. विपक्षी दलों ने भी राष्ट्रपति मैक्रों की आलोचना करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है. उनका कहना है कि मैक्रों को बताना पड़ेगा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया.

'President ने फूलवालों की नौकरी बचा ली'
गौर करने वाली बात ये है कि पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के कारण एलिसी पैलेस को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था. यहां से सभी बैठक केवल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही होती थीं. ऐसे में महज कुछ लोगों के लिए इतनी बड़ी धनराशि से पैलेस की सजावट करना फ्रांस की जनता को नागवार गुजर रहा है. सोशल मीडिया पर लोग राष्ट्रपति के खिलाफ अपना गुस्सा निकाल रहे हैं. एक यूजर ने लिखा है, 'अधिकांश फ्रांसीसी अपने खर्चों में कटौती कर रहे हैं, लेकिन हमारे राष्ट्रपति को फिजूलखर्ची में कोई दिक्कत नहीं'. एक दूसरे यूजर ने लिखा है, 'ऐसे वक्त में जब आर्थिक मंदी के चलते लोगों की नौकरियां जा रहीं हैं राष्ट्रपति ने फूलवालों की नौकरी बचा ली है'.

पहले लगे हैं ऐसे आरोप
वैसे, यह पहली बार नहीं है जब मैक्रों सरकार पर फिजूलखर्ची का आरोप लगा है. इससे पहले 2018 में व्यंग्यपूर्ण साप्ताहिक समाचार पत्र ले कनार्ड एनचैने (Le Canard Enchaine) ने दावा किया था कि एलिसी पैलेस की क्रॉकरी पर 607,000 डॉलर (44653044 रुपये) खर्च किए थे. इस दावे को लेकर भी काफी बवाल हुआ था. हालांकि, सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि उन क्रॉकरी की कीमत महज 60,000 डॉलर (4413810 रुपये) थी.


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