फ्रांस ने ड्रोन हमला कर 40 जिहादियों को मारा, अभियान को 'ऑपरेशन बरखाने' दिया नाम

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Update: 2022-06-17 12:29 GMT

फ्रांस के ड्रोन हमलों में इस सप्ताह के शुरू में लगभग 40 इस्लामिक चरमपंथी मारे गए हैं, जो बुर्किना फासो के साथ लगती नाइजर की सीमा के पास मोटरसाइकिलों पर यात्रा कर रहे थे. फ्रांस की सेना ने गुरुवार को यह घोषणा की है. एक बयान के अनुसार, फ्रांसीसी सेना ने इसे अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में फ्रांस के आतंकवाद-विरोधी प्रयासों की दिशा में नई सामरिक सफलता करार दिया है. फ्रांस ने इस आतंकवाद-विरोधी अभियान को ऑपरेशन बरखाने नाम दिया हुआ है.

बयान में कहा गया, (आतंकवादियों की) टुकड़ी के संपर्क में नाइजर की इकाइयों से प्राप्त खुफिया जानकारी ने पुष्टि की कि ये मोटरसाइकिल बुर्किना फासो और नाइजर के बीच सक्रिय एक सशस्त्र आतंकवादी समूह की थीं. बयान में कहा गया है, नाइजर के सशस्त्र बलों के समन्वय में बरखाने के जवानों ने (आतंकवादियों की) टुकड़ी के खिलाफ कई हमले किए. इस कार्रवाई में करीब 40 आतंकवादियों को मार गिराया गया है.
सहेल क्षेत्र में चरमपंथी हिंसा बढ़ रही है. सहेल क्षेत्र सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में विशाल क्षेत्र है, जिसमें नाइजर और अन्य देश शामिल हैं. नाइजर का दक्षिण-पश्चिम पड़ोसी बुर्किना फासो बढ़ते जिहादी हमलों से जूझ रहा है. इससे पहले 13 तारीख को खबर आई थी कि उत्तरी बुर्किना फासो में वीकेंड पर बंदूकधारियों ने कम से कम 55 लोगों की हत्या कर दी थी. प्राधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी थी. बुर्किना फासो में बढ़ रही हिंसक घटनाओं के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
सरकार के प्रवक्ता वेंडकौनी जोएल लियोनेल बिल्गो ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि संदिग्ध आतंकवादियों ने पश्चिम अफ्रीकी देश के सेनो प्रांत के सेतेंगा में आम नागरिकों को निशाना बनाया. बुर्किना फासो में पिछले दो साल में हिंसक घटनाओ में करीब 5,000 लोग मारे जा चुके हैं. इसके अलावा 20 लाख लोग अपने घर छोड़कर चले गए हैं और देश में मानवीय संकट और गहरा गया है. माली और पड़ोसी पश्चिमी अफ्रीकी देशों नाइजर, मॉरिटानिया, बुर्किना फासो और चाड ने 2014 में जी5 साहेल बल बनाया था, ताकि साहेल में आतंकवाद से निपटा जा सके लेकिन शुरुआत से ही इसे वित्तीय और राजनीतिक समस्याओं का सामना करना पड़ा और 2017 तक वह सैनिकों की तैनाती नहीं कर पाया.
ये भी खबर आई थी कि फ्रांस माली से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा लेकिन इसके पड़ोसी पश्चिमी अफ्रीकी देशों में सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगा. राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान इस कदम की घोषणा करते हुए कहा था, हम सैन्य रूप से भागीदारी बनाए हुए नहीं रख सकते. माली में संक्रमणकालीन शासन के अधिकारियों के साथ हम रणनीति और लक्ष्यों को साझा नहीं करते हैं. साहेल क्षेत्र में फ्रांस के लगभग 4,300 सैनिक हैं. इनमें माली में 2,400 सैनिक भी हैं. बरखाने फोर्स कहे जाने वाले सुरक्षा बल के सैनिक चाड, नाइजर, बुर्किना फासो और मॉरिटानिया में भी हैं.
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