अमेरिकी सेना के पूर्व जनरल: पाकिस्तान ही तालिबान की पनाहगाह, यहीं होती है आंतकियों की ट्रेनिंग
संचालनात्मक सहायता पर काफी हद तक निर्भर हैं। वे कुछ समय तक ऐसे ही बने रहेंगे।
अमेरिकी सेना के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने अमेरिकी सांसदों को बताया कि पाकिस्तान में अफगान तालिबान की सुरक्षित पनाहगाह रही है और आतंकी संगठन की उस देश के मदरसों से शुरुआत हुई थी। एक संसदीय सुनवाई के दौरान मंगलवार को ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के पूर्व अध्यक्ष सेवानिवृत्त जनरल जोसफ एफ डनफोर्ड ने सांसदों को यह भी बताया कि हड़बड़ी में अफगानिस्तान से अमेरिकी सुरक्षा बलों की वापसी के बाद वहां गृह युद्ध की आशंका काफी ज्यादा है।
उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि पाकिस्तान में तालिबान की पनाहगाह है। हम जानते हैं कि वे मास्को की यात्रा, बीजिंग की यात्रा और अन्य देशों की यात्रा के जरिये सक्रिय रूप से कूटनीतिक प्रयास कर रहे हैं। हम जानते हैं की उन्होंने खाड़ी की यात्रा की। हम जानते हैं कि ईरान उनकी साजोसामान के साथ कुछ सहायता कर रहा है।" डनफोर्ड ने कहा कि तालिबान को मादक द्रव्यों के कारोबार से वित्तीय मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि तालिबान एक सुन्नी आतंकवादी संगठन है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, "इसमें कोई शक नहीं कि तालिबान पाकिस्तान के मदरसों से पनपता है।"
डनफोर्ड ने सांसदों को बताया कि आतंकवादी खतरा कम हुआ है क्योंकि अमेरिका ने अफगान बलों को प्रशिक्षित किया है और अमेरिकी सेना की मौजूदगी लगातार बनी हुई है। उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि यह खतरा 18 से 36 महीने की अवधि के दौरान फिर से पनप सकता है। मातृभूमि और हमारे सहयोगियों के लिये खतरा बन सकता है।" उन्होंने कहा कि अफगान सुरक्षा बल अमेरिकी वित्तीय मदद और संचालनात्मक सहायता पर काफी हद तक निर्भर हैं। वे कुछ समय तक ऐसे ही बने रहेंगे।