इस्लाम छोड़ हिंदू धर्म अपनाएंगी पूर्व राष्ट्रपति की बेटी, माफी मांगने के बाद भी कट्टरपंथी बनाते रहे निशाना
इस्लाम छोड़ हिंदू धर्म अपनाएंगी पूर्व राष्ट्रपति की बेटी
जकार्ता: दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में पूर्व राष्ट्रपति Sukarno की बेटी सुकमावती सुकर्णोपुत्री (Sukmawati Sukarnoputri) ने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने का फैसला लिया है. धर्मपरिवर्तन के खास पूजा के दौरान होगा, इस पूजा में शामिल होने के बाद सुकमावती सुकर्णोपुत्री हिंदू धर्म अपना लेंगी. सुकर्णो हेरिटेज एरिया में एक कार्यक्रम होगा.
ईशनिंदा के झेल चुकी हैं आरोप
सीएनएन इंडोनेशिया की रिपोर्ट में सुकमावती सुकर्णोपुत्री (Sukmawati Sukarnoputri) के फैसले की जानकारी दी गई है. सुकमावती इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो की तीसरी बेटी हैं और पूर्व राष्ट्रपति मेगावती सुकर्णोपुत्री की छोटी बहन हैं. 70 वर्षीय सुकमावती सुकर्णोपुत्री इंडोनेशिया में ही रह रही हैं. 2018 में कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों ने उनके खिलाफ ईशनिंदा की शिकायत दर्ज कराई थी.
कट्टरपंथी बनाते रहे निशाना
सुकमावती के खिलाफ ईशनिंदा की शिकायत एक कविता को लेकर की गई थी. यह कविता को शेयर किए जाने के बाद कट्टरपंथियों ने इस्लाम का अपमान किए जाने का आरोप लगाया. इसके बाद सुकमावती को माफी भी मांगनी पड़ी लेकिन विवाद ने फिर भी उनका पीछा नहीं छोड़ा. कट्टरपंथी अकसर उन्हें निशाना बनाते रहे. इसके बाद दुनिया की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में रहने वालीं सुकमावती ने हिंदू धर्म अपनाने का फैसला लिया है. सुकमावती के पिता सुकर्णो की इंडोनेशिया के सबसे बड़े नेताओं में गिनती होती है.
हिंदू धर्म की अच्छी जानकार हैं सुकमावती
सुकमावती के वकील विटारियोनो रेजसोप्रोजो के मुताबिक सुकमावती हिंदू धर्मशास्त्र को लेकर काफी स्टडी की है. बाली की यात्राओं के दौरान सुकमावती अक्सर हिंदू धार्मिक समारोहों में भी शामिल होती रही हैं और हिंदू धार्मिक हस्तियों के साथ उनकी बातचीत होती रहती है. धर्म को अच्छी तरह से समझने के बाद सुकमावती ने 'शुद्धि वदानी' कार्यक्रम के दौरान हिंदू धर्म अपनाने का फैसला लिया है. उनके धर्मपरिवर्तन के पक्ष में उनके भाइयों, गुंटूर सुकर्णोपुत्र और गुरुह सुकर्णोपुत्र, बहन मेगावती सुकर्णोपुत्री ने भी समर्थन किया है. उनके तीनों बच्चे मोहम्मद पुत्र परवीरा उतामा, प्रिंस हर्यो पौंड्राजरना सुमौत्रा जीवनेगारा और गुस्ती राडेन आयु पुत्री सिनिवती भी इस फैसले के समर्थन में हैं.