पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तोशाखाना से तीन कीमती घड़ियां एक लोकल डीलर को बेच

घड़ी उन्हें उपहार में दिए जाने के दो महीने बाद नवम्बर 2018 में बेच दी गई थी।

Update: 2022-06-29 11:54 GMT

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तोशाखाना (कोषागार) से तीन कीमती घड़ियां एक लोकल डीलर को बेच दिया, जिसकी कीमत लगभग 15 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। कार्यालय की पूछताछ के अनुसार, इमरान ने इन कीमती घड़ियों से लाखों रुपये हासिल किए जो कि विदेशी गणमान्य व्यक्तियों ने उपहार में भेंट की थी। द न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, ये घड़ियां मीडिया में बताई गई घड़ियों के अतिरिक्त हैं।

द न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, सबसे महंगी घड़ी लगभग 11 करोड़ मूल्य से अधिक की थी। तोशाखाना के उपहारों पर रखवाली खर्च 20 फीसद से बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया गया। बेचे जाने वाले आकड़ों के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री ने तोशाखाना की उपहार वाली घड़ियों को अपनी जेब से खरीदने के बजाय उन्हें बेचा और प्रत्येक का 20 फीसदी सरकारी खजाने में जमा कर दिया।

ऐसे देखें तो ये उपहार तोशाखाना में कभी जमा ही नहीं किए गए थे। बताया जाता है कि किसी भी सरकार में मिलने वाले उपहार संबंधित कार्यालय के द्वारा मूल्य सहित रिपोर्ट किए जाते हैं। इसके बाद उपहार प्राप्तकर्ता राशि को जमा करता है यदि वह उसे रखना चाहता है। तोशाखाना दस्तावेजों के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री ने इन घड़ियों से 3 करोड़ 60 लाख हासिल किए थे, जो उन्हें खाड़ी देशों के गणमान्य लोगों से मिली थीं। एक घड़ी जो कार्यालय ने उसकी कीमत लगभग 10 करोड़ बताई थी, वह मध्य पूर्व देश के एक उच्च अधिकारी द्वारा उपहार में दी गई थी।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस घड़ी को लगभग 5 करोड़ में बेचा और इसका 2 करोड़ देश के खजाने में जमा करा दिया। इसके बावजूद इमरान को लगभग 3 करोड़ का बड़ा लाभ हुआ। द न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक यह घड़ी अपने वास्तविक मूल्य से आधे कीमत पर बेची गई। दरअसल यह घड़ी 22 जनवरी 2019 को बेची गई, जब इमरान सरकार ने तोशाखाना नियम में बदलाव कर उपहार रखवाली मूल्य को 20 फीसद से बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया था।

एक रालेक्स प्लैटिनम की घड़ी जो खाड़ी द्वीप के शाही परिवार के एक सदस्य ने उपहार स्वरूप दिया था, जिसे इमरान खान के द्वारा 52 लाख में बेचा गया। ये महंगे उपहार तोशाखाना के नियम आधारित 38 लाख के आंके गए। इमरान ने इस घड़ी को बेचकर लगभग 45 लाख रुपये हासिल किए थे। वहीं 0.75 लाख की राशि का 20 फीसद सरकारी खजाने में जमा किया। घड़ी उन्हें उपहार में दिए जाने के दो महीने बाद नवम्बर 2018 में बेच दी गई थी।

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