ड्रोन अटैक के बाद उठीं आग की लपटें, दो महीने बाद पहली बार हुआ ऐसा हमला

इसे लेकर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव भी हो चुका है. हालांकि, ईरान अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारता रहा है.

Update: 2021-09-12 02:35 GMT

उत्तरी इराक (Iraq) के इरबिल इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Irbil international airport) पर शनिवार देर रात विस्फोटकों से लदे ड्रोन (Explosives-laden drones) के जरिए हमला किया गया. इस एयरपोर्ट पर अमेरिका के नेतृत्व में गठबंधन सेनाओं के सैनिकों (US-led coalition troops) का ठिकाना है. अभी तक किसी भी हताहत होने की जानकारी नहीं है. कुर्द शासित क्षेत्र में सुरक्षा बलों और अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. कुर्दिस्तान (Kurdistan) की आतंकवाद रोधी सेवा ने कहा कि विस्फोटक ले जा रहे कम से कम दो ड्रोन ने एयरपोर्ट को निशाना बनाया. इसने कहा कि हमले में कोई हताहत नहीं हुआ है.

अर्ध-स्वायत्त उत्तरी क्षेत्र के प्रवक्ता लॉक गफुरी (Lawk Ghafuri) ने कहा कि विस्फोटक से लदा ड्रोन एयरपोर्ट के बाहर आकर गिरा. उन्होंने उन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया कि हमले ने उड़ानों को प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट खुला है और कुर्द अधिकारियों द्वारा इस मामले की जांच जारी है. बगदाद (Baghdad) में अमेरिकी मौजूदगी और पूरे इराक में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन और रॉकेट हमलों में दो महीने की खामोशी के बाद यह पहला हमला है. 8 जुलाई को बगदाद के भारी किलेबंद ग्रीन जोन और उसके आस-पास रॉकेट आकर गिरे. यहां पर अमेरिकी दूतावास (US Embassy) स्थित है. इस हमले में सामान को नुकसान पहुंचा, मगर कोई हताहत नहीं हुआ.
इराक में तैनात हैं 2500 अमेरिकी सैनिक
कुछ समय पहले तक हवाई हमले अक्सर ही हुआ करते थे. अमेरिका ने हमलों के लिए ईरान समर्थित मिलिशिया को जिम्मेदार ठहराया था. हाल ही में, हमलों को अधिक सावधानी से किया जाने लगा. इस दौरान आतंकियों ने कत्यूषा रॉकेटों के बजाय ड्रोन का इस्तेमाल करना शुरू किया. अमेरिकी सेना (US forces) इस साल के आखिर तक इराक में जारी अपने अभियान को खत्म कर देगी. लेकिन इराकी सेना को ट्रेनिंग और सलाह देने का काम जारी रहने वाला है. वर्तमान समय में इराक में 2500 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. इनका काम स्थानीय फोर्स को इस्लामिक स्टेट (Islamic State) के बचे हुए आतंकियों से लड़ने में मदद करना है.
ईरान समर्थित मिलिशिया बनाते हैं अमेरिकी ठिकानों को निशाना
बता दें कि हाल ही में अमेरिका ने ऐलान किया कि जो भी इराक में इसके सैन्य ठिकानों पर होने वाले हमलों की पहले जानकारी देगा उसे तीन मिलियन डॉलर इनाम दिया जाएगा. इस्लामिक स्टेट को 2017 में हराकर बगदाद से बाहर खदेड़ दिया गया. मगर अभी भी इसकी मौजूदगी देश के कई हिस्सों में है. यही वजह है कि अमेरिकी सैनिक इन आतंकवादियों से लड़ रहे हैं. दूसरी ओर, ईरान समर्थित मिलिशिया की भी इराक में मौजूदगी है, जिसके लड़ाके हमेशा ही अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते रहते हैं. इसे लेकर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव भी हो चुका है. हालांकि, ईरान अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारता रहा है.



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