अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर उठी भीषण आग की लपटें, US ने दी चेतावनी
एयरपोर्ट पर लगी भीषण आग
काबुल: अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ते ही तालिबान लड़ाके काबुल में घुस गए हैं। इस बीच काबुल एयरपोर्ट पर आग लगने की खबर आ रही है। अमेरिका ने अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर छिपने की सलाह दी है। काबुल में अमेरिकी दूतावास ने रविवार को एक सुरक्षा अलर्ट में कहा कि अफगान राजधानी में सुरक्षा की स्थिति तेजी से बदल रही है। इसमें एयरपोर्ट भी शामिल है, ऐसे में लोग सुरक्षित और सतर्क रहें।
तालिबान का राष्ट्रपति भवन पर कब्जा
वहीं, तालिबान कमांडरों का दावा है कि उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, अफगान सरकार की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। वहीं, तालिबान ने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण के लिए कोई भी अंतरिम सरकार नहीं बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि वे अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण करने जा रहे हैं।
पहले ऐसी खबरें थी कि पूर्व मंत्री अली अहमद जलाली को देश का अंतरिम राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। ली अहमद जलाली जनवरी 2003 से सितंबर 2005 तक अफगानिस्तान के आतंरिक मंत्री रह चुके हैं। वह अमेरिका में अकादमिक जगत से जुड़े हुए हैं। इससे पहले, कार्यवाहक आंतरिक मंत्री अब्दुल सत्तार मिर्जाकवाल ने एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि एक शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण होगा।
बगराम एयरबेस पर भी तालिबान का कब्जा
तालिबान ने बगराम एयरबेस पर भी अपना कब्जा जमा लिया है। बताया जा रहा है कि इस एयरबेस की सुरक्षा में तैनात अफगान सेना ने तालिबान आतंकियों के सामने सरेंडर कर दिया है। इस एयरबेस पर बड़ी संख्या में कैदी भी रखे गए हैं। कभी यह एयरबेस अफगानिस्तान में अमेरिका का सबसे बड़ा सैनिक ठिकाना हुआ करता था।
अफगान राष्ट्रपति के आवास पहुंचे तालिबान नेता
अफगानिस्तान के एक अधिकारी ने बताया कि तालिबान के वार्ताकार सत्ता के ''हस्तांतरण'' की तैयारी के लिए राष्ट्रपति के आवास जा रहे हैं। अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर रविवार को बताया कि इस मुलाकात का उद्देश्य तालिबान को शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता सौंपना है। तालिबान ने कहा कि उनकी ताकत के बल पर सत्ता लेने की योजना नहीं है।
काबुल की सीमा पर तालिबान
इससे पहले न्यूज एजेंसी असोसिएटेड प्रेस ने बताया था कि तालिबान के लड़ाकों ने राजधानी को चारों तरफ से घेर लिया है और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि लड़ाकों को अभी शहर के गेट्स पर खड़े रहने के निर्देश दिए गए हैं और अंदर दाखिल होने से मना किया गया है। अमेरिका और NATO बलों की देश से वापसी के साथ ही तालिबान की रफ्तार तेज हो गई थी और अब राजधानी उनके चंगुल में फंस चुकी है।
अभी बाहर इंतजार कर रहे लड़ाके
तालिबानी प्रवक्ता के मुताबिक फिलहाल Islamic Emirates के लड़ाके राजधानी से बाहर ही रहेंगे और जब तक सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती वे अंदर दाखिल नहीं होंगे। इस दौरान काबुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी अफगान सरकार के हाथ है। दूसरी ओर ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में राष्ट्रपति अशरफ गनी के कार्यालय के हवाले से दावा किया गया है कि काबुल पर राष्ट्रीय सुरक्षाबल का नियंत्रण है और लोगों को चिंता की जरूरत नहीं है।
गृहमंत्री ने कहा, 'शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण'
राष्ट्रपति अशरफ गनी के चीफ ऑफ स्टाफ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लोगों से अपील की है कि परेशान न हों, कोई चिंता की बात नहीं है और काबुल में स्थिति नियंत्रण में है। कार्यकारी गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मिर्काजवाल ने कहा है कि काबुल पर हमला नहीं होगा और सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से होगा। उन्होंने कहा कि शहर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
'नहीं दिया जाएगा जवाब'
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान का दावा है कि सभी नागरिकों का ध्यान रखा जाएगा और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। उन्होंने यहां तक कहा है कि सेना को भी जवाब नहीं दिया जाएगा। तालिबान के प्रवक्ता ने अपने बयान में 'सबको माफ' करने की बात कही है लेकिन लोगों को सलाह दी है कि अपने घरों में ही रहें। वहीं, नागरिकों के हवाले से दावा किया गया है कि कुछ जगहों पर लड़ाके आगे बढ़ने लगे हैं।
अमेरिकी दूतावास में खलबली
इससे पहले देखा गया था कि जलालाबाद पर तालिबान के कब्जे के साथ ही अमेरिकी दूतावास में हलचल तेज हो गई थी। अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई। यह भी खबरें सामने आई हैं कि अधिकारियों ने यहां संवेदनशील दस्तावेज जलाने शुरू कर दिए।
अमेरिकी-ब्रिटिश सैनिक नाराज
चेक गणराज्य ने भी अपने दूतावास से अफगान कर्मियों को निकालने की योजना को मंजूरी दे दी है। इससे पहले उसने अपने राजनयिकों को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पहुंचा दिया। वहीं, ब्रिटेन और अमेरिका के सैनिकों ने अपनी सरकारों के ऐक्शन पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सवाल किया है कि इतने साल तक युद्ध में उनके साथियों की जान बलिदान करने के बाद अब इस तरह देश को तालिबान के हाथ में छोड़कर वापसी कैसे की जा सकती है?