चीन-श्रीलंका के बीच खाद पर विवाद, बैंक को किया ब्लैकलिस्ट

उन्होंने कहा कि ‘चीन ने हमेशा निर्यात सामान की गुणवत्ता को बहुत महत्व दिया है.’

Update: 2021-11-14 08:32 GMT

चीन और श्रीलंका के बीच जहरीले खाद को लेकर शुरू हुआ विवाद लगातार बढ़ रहा है. इसका प्रभाव अब दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ने लगा है. चीन ने श्रीलंका को ऑर्गेनिक खाद के नाम पर जहरीला खाद (Toxic Fertiliser) दे दिया, जिसे कोलंबो ने लेने से इनकार कर दिया है. श्रीलंका पूरी तरह से जैविक खेती करने वाला दुनिया का पहला देश बनने का प्रयास कर रहा है. इसी के तहत उसने किंगदाओ सीविन बायो-टेक समूह के साथ एक समझौता किया था, जो एक चीनी कंपनी है. यह समुद्री शैवाल से खाद बनाने के लिए जानी जाती है.

लेकिन अब 20,000 टन जैविक खाद की पहली खेप को ठुकराने के श्रीलंका के फैसले से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव पैदा हो गया है. श्रीलंकाई सरकारी एजेंसी, नेशनल प्लांट क्वारंटीन सर्विस ने शिपमेंट को यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि इसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है. ये फसल के लिए मददगार बनने के बजाय उसे नुकसान पहुंचाएगी (China Fertiliser Refused by Sri Lanka). बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका के कृषि विभाग के महानिदेशक डॉ अजंता डी सिल्वा ने कहा कि खाद के नमूने की जांच की गई, जिसमें पता चला कि यह जीवाणुरहित नहीं है. डी सिल्वा ने कहा, 'हमने खाद में ऐसे बैक्टीरिया की पहचान की है, जो गाजर और आलू जैसे पौधों के लिए हानिकारक है.'
चीन ने बैंक को ब्लैकलिस्ट किया


इस फैसले से चीनी कंपनी किंगदाओ आगबबूला हो गई. उसने कहा कि इससे कंपनी और चीन की छवि को बदनाम किया गया है. श्रीलंकाई कोर्ट ने सरकारी पीपल्स बैंक को आदेश दिया कि वह श्रीलंकाई तट पर प्रवेश का इंतजार कर रहे कार्गो के लिए 9 मिलियन डॉलर की पेमेंट रोक दे. इसके जवाब में चीन ने बैंक को ब्लैकलिस्ट ही कर दिया. इसे लेकर श्रीलंका में चीनी दूतावास ने एक ट्वीट किया है (China Toxic Fertiliser Consignment). हालांकि दूतावास ने खाद की गुणवत्ता और समझौते की शर्तों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि कार्गो पहले ही थर्ड पार्टी टेस्टिंग से गुजर चुका है. उन्होंने कहा कि 'चीन ने हमेशा निर्यात सामान की गुणवत्ता को बहुत महत्व दिया है.'
मुआवजे के तौर पर पैसे मांगे
चीनी कंपनी किंगदाओ सीविन ने एक बयान जारी कर श्रीलंकाई मीडिया पर 'चीनी उद्यमों और चीनी सरकार की छवि को बदनाम करने' के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया (China Allegations on Sri Lanka). इसने मामले के चलते प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के बदले एनपीक्यू से 8 मिलियन डॉलर के मुआवजे की भी मांग की. कंपनी ने कहा, 'श्रीलंका में नेशनल प्लांट क्वारंटीन सर्विस (एनपीक्यू) की जांच के अवैज्ञानिक तरीके स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय पशु और पौधा क्वारंटीन अनुपालन से मेल नहीं खाते हैं.'


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