महिला लेक्चरर ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ जीती कानूनी जंग, कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

कोर्ट ने लेक्चरर के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने नस्ल और लिंग के आधार पर भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

Update: 2022-01-19 04:36 GMT

ब्रिटेन की एक लेक्चरर (British Lecturer) को केवल इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि उसकी आवाज तेज और कर्कश (Loud Voice) है. लेक्चरर ने यूनिवर्सिटी के इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और अब कोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया है. अदालत ने बतौर क्षतिपूर्ति उन्हें 100,000 पाउंड (1,01,53,080 रुपए) देने का भी आदेश दिया है.

30 सालों से कर रहीं थी नौकरी
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में बीबीसी के हवाले से छपी खबर के अनुसार, 60 वर्षीय एनेट प्लाउट (Annette Plaut) यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर (University of Exeter) के फिजिक्स डिपार्टमेंट में 30 साल से पढ़ा रही थीं. लेकिन यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने उन्हें केवल इसलिए नौकरी से निकाल दिया, क्योंकि उनकी आवाज अन्य महिलाओं की तुलना में तेज और कर्कश है.
यूनिवर्सिटी ने दी ये दलील
केस की सुनवाई के दौरान यूनिवर्सिटी ने अदालत को बताया गया कि एनेट बहुत लाउड और झगड़ालू प्रवृति की हैं. इसके अलावा, वो फिजिक्स के प्रति अपना प्यार दर्शाने के लिए हाथ हाथ हिला-हिलाकर बात करती हैं. यूनिवर्सिटी के वकील ने यह भी कहा कि एनेट के कई सहकर्मियों को उनकी तेज आवाज से परेशानी होती थी. वहीं, बचाव पक्ष ने कहा कि एनेट के स्टूडेंट्स को कभी इससे कोई परेशानी नहीं हुई.
पहले निलंबन फिर बर्खास्तगी
फिजिक्स टीचर को पहले निलंबित किया गया फिर दिसंबर 2019 में अनुशासनात्मक सुनवाई के बाद यह कहते हुए बर्खास्त कर दिया गया कि उन्होंने पीएचडी छात्रों पर चिल्लाया था, जिसकी वजह से वे तनाव में आ गए. इसके बाद टीचर ने यूनिवर्सिटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया. कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद अब उनके पक्ष में फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने इस दावे को किया खारिज
अपने बचाव में एनेट प्लाउट ने कोर्ट से कहा कि वो पूर्वी यूरोपीय यहूदी परिवार से ताल्लुख रखती हैं. उन्हें अपनी बातों और विचारों को पुरजोर तरीके से रखने की सीख दी गई है. वो जानबूझकर किसी को परेशान करने के लिए तेज आवाज में नहीं पढ़ातीं, बल्कि उनकी आवाज ही ऐसी है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एनेट प्लाउट को गलत ढंग से बर्खास्त किया गया और इसलिए उन्हें क्षतिपूर्ति के तौर पर एक लाख पाउंड दिए जाएं. हालांकि, कोर्ट ने लेक्चरर के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने नस्ल और लिंग के आधार पर भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया था.


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