FBI के दस्तावेजों से हुआ खुलासा, अमेरिका पर 9/11 हमले में सऊदी अरब का भी था हाथ!

अमेरिका पर हुए अब तक के सबसे खौफनाक आतंकी हमले के 20 साल बाद अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने कुछ ऐसे गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं,

Update: 2021-09-12 18:15 GMT

अमेरिका पर हुए अब तक के सबसे खौफनाक आतंकी हमले के 20 साल बाद अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने कुछ ऐसे गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं, जिनमें सऊदी अरब और हमलावरों के बीच लिंक की बात कही गई है। दस्तावेज में बताया गया है कि अपहरणकर्ता अमेरिका में सऊदी अरब के अपने साथियों से संपर्क में थे लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है कि इस साजिश में सऊदी अरब के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से आदेश के बाद 9/11 हमले की 20वीं बरसी पर शनिवार को ये दस्तावेज जारी किए गए, जिन्हें वर्षों तक गोपनीय रखा गया। 16 पन्नों का दस्तावेज एफबीआई द्वारा 2015 में लिए गए उस व्यक्ति के इंटरव्यू का निचोड़ है जो अमेरिका में सऊदी नागरिकों के संपर्क में था, जिन्होंने हमले से पहले विमान अपहरणकर्ताओं को देश में प्रवेश करने में मदद की थी।
4 अप्रैल 2016 के मेमो में बताया गया है कि उमर बयूमी, उस समय एक छात्र, लेकिन सऊदी की खुफिया एजेंसी के संभावित ऑपरेटिव का अलकायदा के उन दो आतंकियों से लिंक था जो न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन स्थित टारगेट्स को हिट करने के लिए विमान हाइजैकिंग में शामिल थे। 2009 और 2015 में एक गोपनीय सोर्स के इंटरव्यू के आधार पर दस्तावेजों में बयूमी और दो हाइजैकर्स नवाफ अल हाजमी और खालिद अल मिदहार के बीच संपर्क और बैठकों की बात कही गई है। ये दोनों आतंकी हमलों से पहले वर्ष 2000 में दक्षिणी कैलिफोर्निया आ गए थे। दस्तावेजों में इन दोनों के लॉस एंजलिस स्थित किंग फाद मस्जिद के इमाम फहाद अल थुमैरी और सऊदी वाणिज्य दूतावास के एक अधिकारी से लिंक की सूचना की भी पुष्टि की गई है। दस्तावेज़ में कहा गया है कि स्रोत से जुड़े टेलीफोन नंबरों ने कई लोगों के साथ संपर्क का संकेत दिया, जिन्होंने कैलिफोर्निया में रहने के दौरान हाजमी और मिदहार की सहायता की, जिसमें बयूमी और थुमैरी और खुद सूत्र भी शामिल था। सूत्र ने एफबीआई को बताया कि बयूमी की सऊदी वाणिज्य दूतावास में ऊंचा दर्जा हासिल था।
इसमें आगे बयूमी और थुमैरी की अलवर अल अलाकी के बीच बैठकों और फोन पर बातचीत की बात कही गई है। अमेरिका में जन्मा मौलवी यमन में 2011 में ड्रोन स्टाइक में मारे जाने से पहले अलकायदा में बड़ा चेहरा बन चुका था। हालांकि, दस्तावेजों में इस हाइजैकर्स और सऊदी सरकार के बीच कोई सीधा लिंक नहीं बताया गया है।


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