विशेषज्ञों ने कहा- इस बार स्थिति बहुत मुश्किल होने वाली है, डिफॉल्‍ट से बचाने की कोशिशें जारी

अमेरिका के हालात आने वाले दिनों में दुनिया को प्रभावित करने वाले हैं. बड़े स्‍तर पर महंगाई बढ़ेगी और कई देशों पर इसका असर देखने को मिलने वाला है.

Update: 2021-10-12 08:58 GMT

सुपरपावर और दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका (US) एक बड़े संकट की तरफ बढ़ रहा है. अमेरिकी मामलों के विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा लगता है कि देश अब एक वित्‍तीय संकट की तरफ बढ़ रहा है. देश में महंगाई बढ़ रही है, ऊर्जा की कीमतें नियंत्रण के बाहर हैं और कर्ज का स्‍तर पहले ही अस्थिर हो चुका है. ऐसे में अमेरिकी सरकार के पास अब बस कुछ ही उपाय बचे हैं जिसके बाद वो देश की स्थिति को नियंत्रण में ला सकती है.

ग्‍लेन डाइसन जो साउथ ईस्‍टर्न नॉर्वे की यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं, उन्‍होंने पिछले दिनों लिखे अपने एक आर्टिकल में कहा है कि हालातों को देखकर लगता है कि अमेरिका में एक वित्‍तीय और मौद्रिक संकट तैयार हो रहा है. इसका असर दुनिया पर नजर आने वाला है और यहां से अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर ताकत का बंटवारा भी होगा. इसका सीधा फायदा रूस को मिलेगा और रूस कई तरह से अमेरिका को पीछे छोड़ता हुआ नजर आएगा.
डिफॉल्‍ट से बचाने की कोशिशें जारी
अमेरिकी मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक अमेरिकी सांसद इस बात पर रजामंद हो गए हैं कि कम समय के लिए अमेरिका के कर्ज की सीमा को बढ़ा दिया जाए. इसका मकसद अमेरिका को पहली बार डिफॉल्‍ट से बचाना है. मगर मीडिया की मानें तो ऐसा नहीं है कि इस तरह से अमेरिकी नागरिकों पर बरकरार संकट कम हो जाएगा.
न्‍यूयॉर्क पोस्‍ट के एक आर्टिकल के मुताबिक कर्ज की सीमा को दिसंबर तक करने के लिए डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन पार्टी को 18 अक्‍टूबर तक किसी समझौते पर पहुंचना होगा. वित्‍तीय विभाग की तरफ से चेतावनी दी गई है कि अमेरिका अपने सभी आपातकालीन कोशिशों को आगे बढ़ाएगा ताकि सरकार के बिलों का भुगतान किया जा सके.
इस बार खराब है स्थिति
सीनियर एनालिस्‍ट मार्क हैमरिक ने Bankrate.com के साथ बातचीत करते हुए कहा है कि जब ये बात की जाती है कि दिसंबर तक कर्ज की सीमा को बढ़ाया जा सकता है तो इसका सीधा असर उपभोक्‍ताओं पर पड़ता है. उन्‍होंने इसे एक बेहतर समाधान मानने से इनकार कर दिया है. ग्‍लेन डाइसन का कहना है कि इस बार अमेरिका की स्थिति पिछली बार की तुलना में काफी खराब है. साल 2008 में अमेरिका ने ब्‍याज की दरें करीब जीरो कर दी थीं और 13 साल तक ये दरें इसी स्थिति पर रही थीं. अमेरिका तब से मुश्किल में था.
29 ट्रिलियन डॉलर का राष्‍ट्रीय कर्ज
कोरोना वायरस महामारी ने स्थिति को और मुश्‍किल कर दिया. इसके साथ ही चीन के साथ आर्थिक युद्ध ने आग में घी की तरह काम किया. अमेरिका को न सिर्फ महामारी की वजह से पैदा हुए संकट से बाहर निकलना है बल्कि अर्थव्‍यवस्‍था को भी बिखरने से बचाना है. साल 2001 में अमेरिका का राष्‍ट्रीय कर्ज 5 ट्रिलियन डॉलर था तो साल 2008 में ये बढ़कर 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया. अब हालात ये हैं कि ये कभी भी 29 ट्रिलियन डॉलर के स्‍तर को भी पार कर सकता है.
दुनिया पर होगा बड़ा असर
अमेरिका का मध्‍यम वर्ग इस समय संकट में है. वर्तमान समय में अमेरिका 3.5 ट्रिलियन डॉलर के 'रेकन्सिलीऐशन बिल' की तरफ बढ़ रहा है. बाइडेन प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है कि इस बिल को मंजूरी मिल जाए ताकि अमेरिकी नागरिकों को थोड़ी राहत मिल सके. लेकिन अमेरिका के हालात आने वाले दिनों में दुनिया को प्रभावित करने वाले हैं. बड़े स्‍तर पर महंगाई बढ़ेगी और कई देशों पर इसका असर देखने को मिलने वाला है.

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