आज भी विभीषिका झेल रहा है इराक, बारूदी सुरंगों के कारण मर रहे मासूम बच्‍चे

इसमें इराक के अलावा सूडान और अफगानिस्तान भी बुरी तरह प्रभावित हैं.

Update: 2022-04-07 10:50 GMT

इस समय पूरी दुनिया यूक्रेन में लगे लाशों के ढेर और नरसंहार की तस्‍वीरें देखकर दहल रही है. मानवता के खिलाफ यह बर्बरता किसी को रुलाने के लिए काफी है. लेकिन यूक्रेन के अलावा एक देश और भी है, जो बर्बरता झेल रहा है. बल्कि इस देश में मासूम बच्‍चे निशाना बन रहे हैं. बात हो रही है इराक की, जहां पिछले 5 साल में 519 बच्‍चे मारे गए हैं या घायल हुए हैं.

अब तक झेल रहा युद्ध की विभीषिका
बारूदी सुरंगों और युद्ध में बचे हुए विस्‍फोटक अवशेषों के फटने के कारण इराक में बड़े पैमाने पर बच्‍चों को नुकसान हुआ है. 500 से ज्‍यादा बच्‍चे इससे प्रभावित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और संयुक्त राष्ट्र माइन एक्शन सर्विस (यूएनएमएएस) ने साझा रिपोर्ट में कहा है कि प्रभावित बच्चों में 80 प्रतिशत लड़के हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यहां नाबालिक लड़के भेड़ और बकरियां चराते हैं. इसके अलावा वे धातु इकट्ठा करके बेचते हैं. इस दौरान वे बारूदी सुरंगों और विस्‍फोटक अवशेषों के संपर्क में आकर या तो अपनी जान गंवा बैठते हैं या घायल हो जाते हैं.
कई सालों तक रहेगा असर
रिपोर्ट के मुताबिक हाल के वर्षों में इराक में खुला संघर्ष नहीं हुआ है लेकिन विस्फोटक हथियारों के प्रभाव आने वाले कई सालों तक तक महसूस किए जाएंगे. चैरिटी ह्यूमैनिटी एंड इंक्लूजन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इराक दुनिया के उन देशों में से एक है जो विस्फोटकों से होने वाले असर का सबसे ज्यादा शिकार है. अनुमान है कि यहां का 3,225 वर्ग किलोमीटर से अधिक इलाके में बिना फटे हुए विस्फोट फैले हुए हैं. मुख्य रूप से ये विस्‍फोटक ईरान, कुवैत और सऊदी अरब की सीमाओं के पास मौजूद हैं. ये सभी वह क्षेत्र हैं जहां पिछले 4 दशकों से सशस्त्र संघर्ष चल रहे थे.
यूनिसेफ और यूएनएमएएस के एक संयुक्त बयान में सभी पक्षों से बारूदी सुरंगों और युद्ध में बचे हुए विस्फोटक अवशेष को हटाने के प्रयासों में तेजी लाने में मदद करने का आह्वान किया गया. बता दें कि दुनिया भर के कम से कम 59 देशों में अभी भी बारूदी सुरंगें हैं. इसमें इराक के अलावा सूडान और अफगानिस्तान भी बुरी तरह प्रभावित हैं. 
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