यूरोपीय देश ने भी जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वैक्सीन पर लगाई रोक, ब्लड क्लॉटिंग को बताया कारण
जबकि 23.4 फीसदी लोगों को पहली डोज मिली है.
यूरोपीय देश डेनमार्क ने सोमवार को बताया है कि वह जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की गई वैक्सीन (Johnson & Johnson Vaccine) को अपने कोविड टीकाकरण अभियान (Vaccination Drive) से बाहर करेगा. देश ने ब्लड क्लॉटिंग यानी खून के थक्के जमने वाली बीमारी के प्रति चिंता जताते हुए ये फैसला लिया है. इसी तरह का कदम पहले एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन (AstraZeneca Vaccine) को लेकर भी उठाया गया था. यहां के स्वास्थ्य प्राधिकरण का कहना है कि यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) ने 'निष्कर्ष निकाला था कि ब्लड क्लॉटिंग के दुर्लभ मामलों और जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन के बीच कोई संभावित लिंक हो सकता है.'
हालांकि ईएमए और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) दोनों ने ही ये बात भी कही है कि जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन से होने वाले फायदे इसके खतरों से कहीं अधिक हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए वह जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के बिना भी टीकाकरण अभियान चला सकते हैं. इसके बजाय लोगों को केवल फाइजर/बायोएनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन ही लगाई जाएंगी. उन्होंने ये भी कहा कि इस वैक्सीन के फायदे खतरे से अधिक नहीं है और इसे लेने वालों में साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं.
देश में नियंत्रण में है महामारी
अधिकारियों ने कहा, 'डेनमार्क स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा कोविड-19 के खिलाफ बड़े स्तर पर चलाया जा रहा अभियान जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड वैक्सीन के बिना ही आगे बढ़ेगा.' उन्होंने ये भी कहा कि देश में अभी महामारी 'नियंत्रण' में है और 'टीकाकरण अभियान अन्य उपलब्ध वैक्सीन (Denmark Bars Johnson & Johnson Vaccine) के बिना भी आगे बढ़ रहा है.' लेकिन ये बात भी कही जा रही है कि सरकार के इस फैसले से टीकाकरण अभियान में देरी हो सकती है.
कितने लोगों को लगी वैक्सीन?
इससे पहले अप्रैल के मध्य में डेनमार्क ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भी टीकाकरण अभियान से हटाने की बात कही थी. इससे एक महीने पहले इस वैक्सीन पर भी रोक लगाई गई थी. उस समय भी ब्लड क्लॉटिंग के मामलों को लेकर चिंता जताई गई थी. डेनमार्क वैक्सीन को पूरी तरह टीकाकरण कार्यक्रम से हटाने वाला पहला देश बना था (Blood Clotting and Vaccines). हालांकि इस देश का कहना है कि वह दोनों ही वैक्सीन का दोबारा मूल्यांकन करेगा. यहां 5.8 लाख लोगों की आबादी में से 11.5 फीसदी को वैक्सीन की दोनों डोज मिल गई हैं, जबकि 23.4 फीसदी लोगों को पहली डोज मिली है.