नई दिल्ली: पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है. इस बात पर अमल करते हुए भारत ने भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. भारत की ओर से श्रीलंका को खाद्यान्न की मदद भेजी जा रही है, ताकि वहां महंगाई की वजह से लोगों की रोटी छिनने की जो नौबत आई है, उससे थोड़ी राहत मिल सके.
श्रीलंका को भेजने के लिए भारत में व्यापारियों ने 40,000 टन चावल की लोडिंग शुरू कर दी है. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, भारत से क्रेडिट लाइन मिलने के बाद ये श्रीलंका को भेजी जानी वाली अपनी तरह की पहली खाद्यान्न मदद है. श्रीलंका को ये सहायता ऐसे समय मिली है जब वहां एक बड़ा त्यौहार मनाया जाने वाला है. साथ ही वहां बिगड़े हालात को देखते हुए आपातकाल भी लागू कर दिया गया है.
श्रीलंका की आर्थिक बदहाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोलंबो में 13-13 घंटे के पावर कट से जूझ रही जनता सड़कों पर उतर आई है और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रही है. लोगों के पास खाने-पीने की चीजें नहीं है. लोग हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं. हालात यहां तक बिगड़ गए हैं कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने 1 अप्रैल से देश में आपातकाल लागू कर दिया है. श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि देश में कानून व्यवस्था कायम रखने, आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई को जारी रखने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया है
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार में बीते दो साल में 70% से ज्यादा की गिरावट आई है. इस वजह उसे अपनी जरूरत की अनिवार्य वस्तुओं का आयात करने में भी दिक्कत आ रही है. इस वजह से श्रीलंका की मुद्रा डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गई है और उसने दुनिया के कई देशों से मदद मांगी है. इसके अलावा वहां महंगाई का आलम ये है कि पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने की सामान्य चीजों के दाम चरम पर पहुंच गए हैं.
भारत ने श्रीलंका को 1 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन यानी ऋण सहायता देने पर सहमति जताई है. इससे श्रीलंका को अनिवार्य वस्तुओं की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. ऐसे में भारत से चावल की खेप श्रीलंका पहुंचने के बाद वहां चावल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है जो बीते एक साल में दोगुना बढ़ चुकी हैं. आर्थिक संकट को दूर करने के लिए श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ भी चर्चा कर रहा है.