PM मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान पहनेंगे गणमान्य लोग 'खादी मुजीब जैकेट', जानें क्यों है इतनी स्पेशल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Update: 2021-03-21 12:07 GMT

Khadi Mujib Jacket: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इस महीने के आखिर में बांग्लादेश की दो दिवसीय यात्रा (PM Modi Bangladesh Visit) पर जा रहे हैं. इस दौरान गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से तैयार खादी के मुजीब जैकेट (Khadi Mujib Jacket) पहनेंगे. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने इस तरह के 100 मुजीब जैकेट की आपूर्ति की है. मुजीब जैकेट की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) द्वारा पहने जाने वाले परिधान के रूप में जाना जाता है. उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है.


सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा है, 'खादी, जो भारत की विरासत का कपड़ा है, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 26 और 27 मार्च की बांग्लादेश की दो दिवसीय यात्रा के दौरान लोगों की नजरें खींचने के लिए तैयार है. केवीआईसी ने 100 मुजीब जैकेटों की आपूर्ति की है, जो इस यात्रा में गणमान्य व्यक्तियों की पोशाक होगी.' बयान में कहा गया कि बांग्लादेश शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी को मुजीब बोरसो के रूप में मना रहा है.

'मुजीब बोरसो' का जश्न मनाया जाएगा
इसी उपलक्ष्य में ढाका में भारतीय उच्चायोग के इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र ने 100 मुजीब जैकेट का एक ऑर्डर दिया था. खेप को पहले ही ढाका भेज दिया गया है. इस मामले में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि, 'बांग्लादेश शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी मनाने जा रहा है और इसे देखते हुए ही 'मुजीब बोरसो' का जश्न मनाया जाएगा (Khadi Mujib Jacket Bangladesh). इसलिए भारतीय उच्चायोग ने प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले ऐसी 100 जैकेट्स का ऑर्डर दिया था.'
महान नेता की विचारधारा का प्रतीक
ये जैकेट इसलिए तो खास है कि क्योंकि ये यहां के महान नेता की विचारधारा का प्रतीक है, बल्कि इसलिए भी अहम मानी जाती है क्योंकि इस देश की युवा पीढ़ी के लिए ये फैशन स्टेटमेंट (Khadi Mujib Jacket) बन गया है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी राजनयिक यात्राओं के दौरान हमेशा ही खादी को सबसे अधिक प्राथमिकता दी है. खादी को महात्मा गांधी की विरासत के तौर पर भी देखा जाता था, जो इसके इस्तेमाल को काफी अहमियत देते थे.
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