पेरिस: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्वीकार किया कि जून में फ्रांसीसी नेशनल असेंबली को भंग करने से समाधान के बजाय विभाजन अधिक पैदा हुआ। राष्ट्रपति मैक्रों ने मंगलवार रात नववर्ष की पूर्वसंध्या पर कहा, "इस विघटन का उद्देश्य फ्रांसीसी लोगों को उनकी आवाज वापस देना और स्थिति को साफ करना था, लेकिन समझ और विनम्रता यह मांग करती है कि हमें यह मानना चाहिए कि इस फैसले से शांति की बजाय ज्यादा अस्थिरता हुई है और मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जून में यूरोपीय चुनावों में दक्षिणपंथी गठबंधन के हारने के बाद मैक्रों ने संसद भंग कर दी थी। उन्होंने संसदीय चुनावों की घोषणा की, जिसके परिणामस्वरूप संसद में अस्थिरता आई और प्रधानमंत्री गेब्रियल एटल को इस्तीफा देना पड़ा। मिशेल बार्नियर ने एटल का स्थान लिया, लेकिन 4 दिसंबर को अविश्वास प्रस्ताव में उन्हें हटा दिया गया। मैक्रों ने 2024 में सेवा देने वाले तीन प्रधानमंत्रियों एलिजाबेथ बोर्न, गेब्रियल एटल और मिशेल बार्नियर के प्रति आभार व्यक्त किया और बार्नियर के निष्कासन के बाद 2024 में नियुक्त चौथे प्रधानमंत्री फ्रेंकोइस बायरू को शुभकामनाएं दीं थी।
यूरोप की सुरक्षा के बारे में मैक्रों ने आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि महाद्वीप अब अपनी सुरक्षा का जिम्मा किसी और ताकत को नहीं सौंप सकता। उन्होंने कहा, "2025 में फ्रांस को संप्रभुता सुनिश्चित करने, अपने हितों की रक्षा करने और अपने हमवतन लोगों की सुरक्षा की गारंटी देने के लिए सैन्य पुनः शस्त्रीकरण में निवेश जारी रखना चाहिए।" उन्होंने यूरोप से अपनी रक्षा और सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने के प्रयासों में तेजी लाने का भी आग्रह किया। मैक्रों ने कहा, "सुरक्षा के बिना समृद्धि नहीं आएगी और फ्रांस को अपनी कूटनीतिक और सैन्य शक्ति के जरिए हमेशा इस मामले में भूमिका निभानी होगी।" मैक्रों ने उम्मीद जताई कि 2025 सामूहिक सुधार का वर्ष होगा, जो कार्रवाई और एकता से प्रेरित होगा, स्थिरता लाएगा, सही निर्णय लेगा और वैश्विक अस्थिरता के बीच भी फ्रांस को मजबूत करेगा।