ब्रिटेन में कोरोना के इलाज में नस्ल के आधार पर भेदभाव, यहां शुरू हुई जांच
वहीं नीदरलैंड ने कोरोना वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों पर सख्ती करने का ऐलान किया है.
क्या ब्रिटेन (Britain) में कोरोना (Coronavirus) के इलाज में नस्ल के आधार पर भेदभाव किया गया? क्या वहां पर कुछ मेडिकल डिवाइस को इस प्रकार डिजाइन किया गया, जिससे वे काले और एशियाई लोगों में कोरोना संक्रमण को वक्त रहते नहीं पहचान पाए और लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
काले और एशियाई ज्यादा हुए संक्रमित
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद (Sajid Javid) ने रविवार को कहा कि कोरोना (Coronavirus) के इलाज में नस्ल और लिंग के आधार पर भेदभाव की बातें सामने आई हैं. जांच में सामने आया कि देश में रहने वाले काले और एशियाई लोग कोरोना संक्रमण के ज्यादा शिकार हुए. अस्पतालों के आईसीयू में भर्ती होने वाले लोगों में ऐसे लोगों की संख्या अपनी आबादी के अनुपात में दोगुनी थी.
पल्स ऑक्सिमीटर में मिली गड़बड़ी
जब इस बात की जांच की गई कि ऐसा क्यों हुआ तो उसका कारण शरीर में ऑक्सीजन का लेवल मापने वाले पल्स ऑक्सिमीटर (Pulse Oximeters) को पाया गया. पता चला कि ये पल्स मीटर गहरे रंग की स्किन पर सही ढंग से काम नहीं कर रहे थे. जिसके चलते ऐसे लोगों को अपने शरीर के अंदर कम हो रहे ऑक्सीजन लेवल का पता नहीं चला और वे गंभीर रूप से बीमार हो गए. उनमें से कई लोगों की गंभीर संक्रमण के बाद जान चली गई.
स्काई न्यूज के साथ बात करते हुए साजिद जाविद (Sajid Javid) ने कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा कि ऐसा किसी ने जानबूझकर किया. मुझे लगता है कि यह एक प्रणालीगत दिक्कत रही है और ऐसा पूरी दुनिया में हुआ है. हो सकता है कि मेडिकल बुक्स के हिसाब से ऐसी प्रणाली अपनी जगह सही हो लेकिन इसकी जांच होनी चाहिए. इसलिए हम इस मामले की तह में जाने के लिए इन्वेस्टिगेशन शुरू कर रहे हैं.'
ब्रिटेन में अब तक 1 लाख 43 हजार की मौत
बताते चलें कि ब्रिटेन में कोरोना (Coronavirus) से अब तक 1 लाख 43 हजार लोगों की कोरोना से मौत हुई हैं. रूस के बाद यूरोप में कोरोना मृतकों की यह सबसे बड़ी संख्या है. दुनिया में यूरोप में इन दिनों कोरोना के मामले फिर से बढ़ रहे हैं. ऑस्ट्रिया ने हालात से निपटने के लिए सोमवार से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी है. वहीं नीदरलैंड ने कोरोना वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों पर सख्ती करने का ऐलान किया है.