NASA के प्लेनेटरी साइंस डिविजन की डायरेक्टर ने कहा- चांद पर अपनी हमेशा के लिए उपस्थिति स्थापित...

NASA के प्लेनेटरी साइंस डिविजन की डायरेक्टर

Update: 2021-05-23 11:18 GMT

वैज्ञानिक लगातार दूसरे ग्रहों पर जीवन के लिए खोज करने के लिए वहां पर यंत्र भेजते रहते हैं। अब नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) 2023 में चंद्रमा पर पानी और अन्य संसाधनों की खोज के लिए प्लान कर रहा है। अमेरिका की इस संस्था ने शुक्रवार को बताया कि वह अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत चांद की सतह और उसके नीचे बर्फ और अन्य संसाधनों की खोज में 2023 के आखिर में अपना पहला मोबाइल रोबोट

वोलाटाइल्स इंवेस्टिगेशन पोलर एक्स्प्लोरेशन रोवर (VIPER) डाटा इकट्ठा करेगा, जो NASA को चांद साउथ पोल पर संसाधनों का मैप तैयार करने में मदद करेगा। इसका इस्तेमाल एक दिन चांद पर लंबे समय के लिए मानव अन्वेषण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
हम चांद पर अपनी हमेशा के लिए उपस्थिति स्थापित करना चाहते हैं-Lori Glaze
NASA के प्लेनेटरी साइंस डिविजन की डायरेक्टर Lori Glaze ने वाशिंगटन में एजेंसी के हेड क्वार्टर में कहा कि 'VIPER से मिलने वाले डाटा में चांद पर सही जगह और बर्फ के कंसंट्रेशन का पता लगाने में हमारे वैज्ञानिकों की मदद करने की क्षमता है। इससे हमें आर्टेमिस एस्ट्रोनॉट की तैयारी में चंद्र साउथ पोल पर पर्यावरण और मिलने वाले संसाधनों की जानकारी में मदद करेगा।' Glaze ने आगे कहा कि 'अभी एक उदाहरण के तौर पर कैसे रोबोट साइंस मिशन और मानव जांच पड़ताल काम करते हैं। यह दोनों ही हमारे लिए क्यों जरूरी है, क्योंकि हम चांद पर अपनी हमेशा के लिए उपस्थिति स्थापित करना चाहते हैं।'
सोलर पावर से चलता VIPER
आपको बता दें कि VIPER सोलर पावर से चलता है। चंद्र साउथ पोल पर रोशनी और अंधेरे के बीच इसके काम करने की काफी जरूरत होगी। NASA ने एजेंसी की कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विस (CLPS) अभियान के तहत VIPER के लॉन्च, ट्रांसिट और चांद की सतह पर फैलने के लिए एस्ट्रोबोटिक को नया काम सौंपा है।
NASA ने बताया कि एक बार जब चांद पर रोवर कई तरह के गड्डे और मिट्टी के प्रकारों को चेक करने के लिए पहियों और सस्पेंशन सिस्टम के स्पेशलिस्ट का इस्तेमाल करके लूनर क्रेटर को खोजेगा।
रोवर का डिजाइन रिसोर्स प्रॉस्पेक्टर कहे जाने वाले चांद की संभावना के लिए एक पूर्व रोबोटिक कॉन्सेप्ट के हिसाब से आगे बढ़ा है, जिसे NASA ने 2018 में ही कैंसल कर दिया था।
उसके बाद से ही VIPER मिशन को 1 से 3 चांद दिनों जो कि पृथ्वी पर 100 दिनों के बराबर तक बढ़ाई गई थी। VIPER को साइंस कैपेबिलिटीज को बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है, इससे चांद की सतह पर ज्यादा डाटा एकत्रित किया जाएगा।
कैसे काम करेगा VIPER
VIPER 4 इंस्ट्रूमेंट्स को बोर्ड पर साथ लेकर जाएगा। इनमें रेगोलिथ और आइस ड्रिल फॉर एक्सप्लोरिंग न्यू टेरेन्स (TRIDENT) हैमर ड्रिल, मास स्पेक्ट्रोमीटर ऑब्जर्विंग लूनर ऑपरेशन (MSolo) इंस्ट्रूमेंट, नियर इन्फ्रारेड वोलेटाइल्स स्पेक्ट्रोमीटर सिस्टम (NIRVSS) और न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर सिस्टम (NSS) शामिल हैं।
एस्ट्रोबोटिक की पहली फ्लाइट MSolo, NVSS और NIRVSS वह पेलोड हैं जो कि CLPS डिलीवरी से चांद की सतह पर पहली बार उतरेंगे, जिनके जरिए काफी जानकारी आने की उम्मीद है।
TRIDENT और MSolo के वर्जन 2022 के आखिर में पोलर रिसोर्स आइस माइनिंग एक्सपेरिमेंट (PRIME-1) टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन पर सवार होकर चांद पर घूमेंगे यह अपनी दूसरी CLPS फ्लाइट पर आसान मशीनों के जरिए भेजा जाएगा।
मिड साइज के रोवर में नासा के लगातार इंवेस्टमेंट और ऑपरेशन में 433.5 मिलियन डॉलर का खर्च हुआ है। CLPS के जरिए से चांद पर VIPER भेजने के लिए एस्ट्रोबोटिक के लिए वर्तमान डिलीवरी कॉन्ट्रैक्ट की कीमत करीब 226.5 मिलियन है।
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