राजनयिक जल्मे खलीलजाद ने बताया तालिबान के साथ अमेरिकी समझौते को बिल्कुल सही
यहां मौजूद नहीं है और हमें इस स्तर पर सूचना नहीं मिली है।'
अमेरिकी राजनयिक जल्मे खलीलजाद ने तालिबान के साथ अमेरिकी समझौते को बिल्कुल सही बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैनिक इतिहास की सबसे लंबी लड़ाई लड़े थे। इस लड़ाई को खत्म होना चाहिए था। इस लिहाज से अमेरिका का तालिबान के साथ किया गया समझौता सही था। समझौते में गड़बड़ी तब पैदा हुई जब राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अचानक काबुल छोड़ने का फैसला किया। उससे सारी योजना बिखर गई। उल्लेखनीय है कि इस समझौते के लिए खलीलजाद अमेरिका की ओर से मुख्य वार्ताकार थे और हाल ही में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है। इस्तीफे के बाद उन्होंने अमेरिकी न्यूज चैनल सीबीएस को पहला साक्षात्कार दिया है।
खलीलजाद ने कहा, उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को कोई भी गलत जानकारी नहीं दी। जमीनी हालात और वार्ता की हर चरण की प्रगति से बाइडन प्रशासन और उससे पहले ट्रंप प्रशासन के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया। राजनयिक ने कहा कि अफगानिस्तान की जमीनी हालात की जानकारी अमेरिकी प्रशासन को देने के लिए अकेले वही नहीं थे। अमेरिकी खुफिया तंत्र, सैन्य अधिकारी और अन्य लोग प्रशासन को स्थिति बता रहे थे।
तीन राष्ट्रपतियों के अफगानिस्तान को लेकर लगभग समान विचार थे। विदित हो कि जब खलीलजाद को वार्ताकार बनाया गया था तब तक तालिबान अफगानिस्तान के 60 प्रतिशत इलाके पर फिर से कब्जा कर चुका था। एक सवाल के जवाब में खलीलजाद ने अफगानिस्तान में आतंकी संगठन अल कायदा के मौजूदगी की पुष्टि की है। लेकिन तालिबान ने उनके दावे को नकार दिया है। उसने कहा है कि अफगानिस्तान में अब अल कायदा मौजूद नहीं है।
सूचना और संस्कृति के उपमंत्री जबीउल्लाह मुजाहिद ने खलीलजाद के बयानों का खंडन किया और कहा कि ऐसी जानकारी अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। टोलो न्यूज के अनुसार मुजाहिद ने कहा, 'मुझे ऐसा कोई खतरा नहीं दिखता। ऐसा कोई व्यक्ति यहां मौजूद नहीं है और हमें इस स्तर पर सूचना नहीं मिली है।'