कोरोना त्रासदी के बावजूद विश्व के सबसे ताकतवर देशों में शामिल होगा भारत

कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी की दूसरी लहर में रिकॉर्ड मरीजों की संख्या के कारण संकट में घिरने के बावजूद भारत का वैश्विक दबदबा कम नहीं होगा।

Update: 2021-05-23 01:26 GMT

कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी की दूसरी लहर में रिकॉर्ड मरीजों की संख्या के कारण संकट में घिरने के बावजूद भारत का वैश्विक दबदबा कम नहीं होगा। अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञ डॉ. जॉन सी हल्समन का मानना है कि इस त्रासदी के बावजूद भारत धरती पर 'सबसे तेजी से बढ़ती शक्ति' बना रहेगा और अपनी आधारभूत मजबूती के दम पर विश्व में 'सबसे ताकतवर' देशों में शुमार किया जाएगा। डॉ. हल्समन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की भी तारीफ की है।

डॉ. हल्समन ने सऊदी अरब के प्रमुख अखबार अरब न्यूज में भारत को लेकर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने भारत के महामारी से निपटने के तरीकों की आलोचना करने वालों को फटकार लगाई है। उन्होंने कहा कि भारत का राजनीतिक ढांचा स्थिर है और मोदी व भाजपा, दोनों ही राजनीतिक तौर पर ऐसे सुरक्षित हैं कि अन्य विकासशील देश केवल ईर्ष्या ही कर सकते हैं।
दरअसल, कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण तेजी से कोरोना के मामले बढ़ने से भारत के स्वास्थ्य ढांचे को तगड़ी चोट पहुंची है। इसे लेकर पश्चिमी मीडिया के कई वर्ग भारत के महामारी से निपटने के तरीके की आलोचना भी कर रहे हैं। लेकिन डॉ. हल्समैन का तर्क है कि महज भारत की मौजूदा दुखद समस्याओं की तरफ देखना, लेकिन उसे दुनिया की सबसे तेजी से उभरती बड़ी शक्ति बनाने वाले स्थायी परिवर्तनों की अनदेखी करना विश्लेषणात्मक खतरा है। अमेरिकी विशेषज्ञ ने अपनी बात को साबित करने के लिए कई तरह के उदाहरण दिए हैं।
भारत की राजनीतिक शक्ति संरचना की स्थिरता
डॉ. हल्समन ने पहले उदाहरण में कहा, सबसे पहले भारत की राजनीतिक शक्ति सरंचना अहम रूप से स्थिर है। मई, 2019 के राष्ट्रीय संसदीय चुनावों में भाजपा की वास्तव में सीटों में बढ़ोतरी ने अधिकतर विदेश नीति विशेषज्ञों को हैरान कर दिया था।
सबसे बड़ी युवा आबादी की मौजूदगी
डॉ. हल्समैन के मुताबिक, राजनीतिक फायदे में होने के अलावा भारत की जनसांख्यिकी भी तुलनात्मक रूप से काफी लाभदायक साबित हो रही है। भारत की आबादी के साल 2024 तक चीन से भी ज्यादा हो जाने का अनुमान है। अहम बात ये है कि भारत की 50 फीसदी से भी ज्यादा आबादी की औसत आयु 25 साल है और करीब 65 फीसदी आबादी 35 साल से भी छोटी है।
2050 तक दुनिया की जीडीपी में होगी 15 फीसदी हिस्सेदारी
अमेरिकी विशेषज्ञ भारत के मजबूत आंकड़ों की तरफ इशारा करते हुए आगे कहते हैं कि आर्थिक आंकड़े झूठ नहीं बोलते। उन्होंने दावा किया है कि 2050 तक वैश्विक जीडीपी में भारत की 15 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण उपजे आर्थिक संकट से बाहर आकर भारत नए सिरे से विकास के सुनहरे युग के लिए तैयार है, उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में आईएमएफ के उस अनुमान का भी जिक्र किया, जिसमें चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 11.5 फीसदी की दर से बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है। डॉ. हल्समन ने कहा कि भारत एकमात्र प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था है, जिसमें दो अंकों की बढ़ोतरी के अनुभव की भविष्यवाणी की गई है।

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