डिप्टी पीएम को मिला कार्यभार, हैरान रह गए लोग

पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. सबसे ज्यादा सीटें विपक्षी पार्टी को मिली थी, इसके बावजूद प्रयुथ चान-ओचा ने प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ी.

Update: 2022-08-25 08:47 GMT

थाईलैंड (Thailand) की संवैधानिक अदालत ने आदेश दिया कि जब तक वह इसका निर्णय नहीं कर लेता कि प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा (Prayuth Chan-Ocha) पद पर बने रहने की कानूनी सीमा पार कर चुके हैं या नहीं, तब तक के लिए उन्हें कार्यभार से दूर रहना होगा. अदालत ने इस दलील पर सहमति जताई कि प्रयुथ के कार्यकाल की सीमा पार होने को लेकर दायर याचिका पर विचार करने के पर्याप्त कारण हैं. अदालत के सदस्यों ने चार के मुकाबले पांच वोटों से प्रयुथ को कार्यभार से मुक्त करने पर सहमति जताई.


डिप्टी पीएम को मिला कार्यभार

इस बीच, प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता अनुचा बी ने कहा कि उप प्रधानमंत्री प्रवित वोंगसुवन प्रधानमंत्री के कामकाज का दायित्व संभालेंगे. प्रवित भी थाई सेना के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं. जो लंबे समय से शाही परिवार से भी जुड़े हैं. उन्हें राजनीतिक किंगमेकर माना जाता है. वो प्रयुथ के नजदीकी राजनीतिक सहयोगी होने के साथ उसी सैन्य समूह का हिस्सा हैं जिसने 2014 में तख्तापलट किया था. जिसके बाद प्रयुथ ने 24 अगस्त 2014 को आधिकारिक रूप से देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था.

विपक्ष चार बार लाया था अविश्वास प्रस्ताव

रॉयटर्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड की संसद में कुल 250 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी फीयू थाई ने 136 सीटें हासिल की, जबकि सैन्य समर्थक पीपीपी ने 115 सीटें मिली. इसके बावजूद प्रयुथ चान-ओचा ने अपना इस्तीफा नहीं दिया और अवैध तरीके से सत्ता पर कब्जे को बरकरार रखा. विपक्ष ने इस दौरान उनके खिलाफ 4 बार असफल अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया था.

जानिए पूरा मामला

दरअसल, थाईलैंड के संविधान के अनुसार, कोई भी प्रधानमंत्री अधितकम 8 साल तक ही पद पर बना रह सकता है. इस फैसले को प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है. फैसले के बाद बैंकॉक के गवर्नमेंट हाउस में नए कैबिनेट मंत्रियों के साथ एक फोटो सेशन में उन्हें अपना चेहरा पोंछते हुए भी देखा गया. प्रयुथ चान-ओचा थाईलैंड से पूर्व सेनाध्यक्ष हैं, जो 2014 में सैन्य तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज हुए थे. तब उन्होंने एक निर्वाचित सरकार को सेना के दम पर अपदस्थ किया था. उसके बाद 2019 में दिखावे के लिए चुनाव करवाया गया, जिसमें किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. सबसे ज्यादा सीटें विपक्षी पार्टी को मिली थी, इसके बावजूद प्रयुथ चान-ओचा ने प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ी.


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