कर्ज में डूबी दुनिया: वैश्विक ऋण 226 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंचा, जानिए भारत पर कितना?
उन्होंने चेतावनी दी कि कुल मिलाकर, आर्थिक संभावनाओं के लिए जोखिम बढ़ गए हैं और नीतिगत व्यापार अधिक जटिल हो गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने बुधवार को कहा कि वैश्विक कर्ज 226 ट्रिलियन डालर के उच्चस्तर पर पहुंच गया है। भारत का कर्ज 2016 में उसके सकल घरेलू उत्पाद के 68.9 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 89.6 प्रतिशत हो गया है। इसके 2021 में 90.6 प्रतिशत और फिर 2022 में घटकर 88.8 प्रतिशत होने का अनुमान है। वहीं, 2026 में 85.2 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। वैश्विक ऋण की भरपाई के लिए चीन ने 90 प्रतिशत का योगदान दिया है जबकि शेष उभरती अर्थव्यवस्थाओं और कम आय वाले विकासशील देशों ने लगभग सात प्रतिशत का योगदान दिया। आइएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राजकोषीय दृष्टिकोण के लिए जोखिम बढ़ गया है। टीके के उत्पादन और वितरण में वृद्धि, विशेष रूप से उभरते बाजारों और कम आय वाले विकासशील देशों के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस तरह की दिक्कतें नुकसानदायक हैं।