ब्राजील । ब्राजील में लोकतंत्र के समर्थन में रैलियां निकाली जा रही हैं। दरअसल इन रैलियों के जरिए पूर्व राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो और उनके समर्थकों के खिलाफ नाराजगी भी जताई जा रही है। रविवार को बोलसोनारों के समर्थक यहां की संसद में दाखिल हो गए थे। इस घटना की पूरी दुनिया में निंदा की गई और देश में भी अजीब सी हलचल रही। बोलसोनारों का आरोप है कि राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने धोखाधड़ी करके चुनाव जीता है। अक्टूबर में देश में चुनाव हुए थे और इन चुनावों ने ब्राजील को बांटकर रख दिया। राजधानी ब्रासीलिया में 1500 लोगों को रविवार को हुए दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। देश के सबसे बड़ी शहर साओ पाओलो में हजारों लोगों ने रैली निकालकर बोलसोनारो को जेल में डालने की मांग की है। लूला डी सिल्वा के शपथ ग्रहण के बाद बोलसोनारों के समर्थक काफी नाराज हो गए थे और फिर वो देश की संसद के अंदर दाखिल हो गए। गत दिवस सोमवार को 77 साल के राष्ट्रपति ने संसद का दौरा किया और क्षतिग्रस्त बिल्डिंग का जायजा लिया। दंगाइयो ने राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास और सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचाया था। इसके बाद गवर्नरों ने इस घटना को आतंकी वारदात कहकर निंदा की थी। उन्होंने साथ ही साजिशकर्ताओं को सजा देने की भी कसम खाई। 67 साल के बोलसोनारो अपनी हार मानने को तैयार नहीं हैं। एक जनवरी को सत्ता हस्तांतरण से पहले ही वह अमेरिका के लिए रवाना हो गए। यहां पर उन्हें पेट दर्द की शिकायत के चलते फ्लोरिडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
लूला को आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करना पड़ा
रैली में शामिल बहुत से लोगों ने लाल रंग के कपड़े पहने हुए थे। लाल रंग लूला की वर्कर्स पार्टी का रंग है। कुछ लोगों ने बैनर लिए हुए थे। इन पर लिखा था कि तख्तापलट की चाह रखने वालों के लिए कोई मानवता नहीं दिखानी चाहिए। इन लोगों ने दंगाइयों के लिए सख्त सजा की मांग की। साथ ही बोलसोनारो को जेल में डालो के नारे लगाए। ब्रासीलिया में जब भारी तादाद में जनता सड़कों पर उतरी तो लोग पीले रंग की ब्राजील फुटबॉल शर्ट में थे। इन लोगों ने पुलिस को भी परेशान किया और राजधानी में जमकर उत्पात मचाया। इसके चलते लूला को आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करना पड़ा।
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