यमन पर मंडरा रहे संकट के बादल, पानी में फेंका 80 प्रवासिय, 20 ने गंवाई जान
लेकिन पिछले साल उन्होंने इसमें जबरदस्त कटौती की थी.
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (International Organisation for Migration) ने कहा है कि पूर्वी अफ्रीका (East Africa) में जिबूती से यमन (Yamen) की यात्रा के दौरान तस्करों (Smugglers) ने 80 प्रवासियों को नाव से पानी में फेंक दिया, जिसमें 20 प्रवासियों की मौत हो गई. बयान में कहा गया है कि 18 साल से कम उम्र के कई बच्चों (Children) सहित 200 प्रवासियों के नाव पर चढ़ने के बाद तस्करों ने चिल्लाना शुरू कर दिया कि- 'बोर्ड (Boards) पर बहुत ज्यादा लोग हैं'.
आईओएम का कहना है कि पांच शव बरामद किए गए हैं और घटना में जिंदा बचे लोगों का इलाज जिबूती में किया जा रहा है. ऐसा पहले भी हो चुका है क्योंकि हजारों प्रवासी हॉर्न ऑफ अफ्रीका से यमन जाने की लगातार कोशिश करते रहते हैं जहां से वो खाड़ी देशों में प्रवेश करते हैं. कोरोना महामारी के चलते देशों की सीमाएं बंद हैं, जिसके चलते प्रवासियों का आवागमन धीमा जरूर हुआ है लेकिन ये बंद नहीं हुआ है.
पहले भी प्रवासियों को मार चुके हैं तस्कर
आईओएम ने कहा कि 2019 में करीब 138,000 लोगों ने यात्रा की लेकिन 2020 में ये आंकड़ा सिर्फ 37,500 रह गया. हालांकि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि हाल की यात्रा में शामिल प्रवासी कौन से देश से थे लेकिन जानकारी के मुताबिक इनमें कई लोग इथियोपिया और सोमालिया से थे.
इससे पहले अक्टूबर में कम से कम आठ प्रवासियों को तस्करों ने जिबूती के पास नाव से पानी में जबरन उतार दिया था. इसी तरह 2017 में सोमालिया और इथियोपिया के 50 प्रवासियों को यमन तट के पास तस्करों ने जबरन पानी में डुबो दिया था. इसके अलावा 2018 में कम से कम 30 प्रवासियों और शरणार्थियों की नाव पलटने से मौत हो गई थी. इस दौरान बचे हुए लोगों ने गोलीबारी की सूचना दी थी.
यमन पर मंडरा रहे संकट के बादल
कुछ दिनों पहले यमन से जुड़ी खबर आई थी कि आने वाले समय में देश को भयानक अकाल का सामना करना पड़ सकता है. संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी अभियानों के प्रमुख मार्क लोवकॉक ने कहा था कि युद्ध प्रभावित देश यमन में हालत तेजी से बिगड़ रहे हैं और अगर दानदाताओं खासतौर पर खाड़ी के उसके पड़ोसी देशों ने संयुक्त राष्ट्र की 3.85 अरब डॉलर की मांग पर उदारतापूर्वक दान नहीं दिया तो यमन को अब तक के सबसे भयानक अकाल का सामना करना पड़ेगा.
लोवकॉक ने पिछले महीने कहा था कि खाड़ी देशों खासतौर पर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने साल 2018 और 2019 में उदारतापूर्वक दान दिया था, लेकिन पिछले साल उन्होंने इसमें जबरदस्त कटौती की थी.