चीन में राष्ट्रपति जिनपिंग के नाम पर शुरू हो रहा कोर्स...किसी जीवित नेता पर कोर्स पहली बार...जानें क्यों
चीन की टॉप 37 यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में अब एक नया कोर्स जुड़ने जा रहा है,
किसी जीवित नेता पर कोर्स पहली बार
पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अपनी तरह ही कट्टर आबादी तैयार करने के लिए लगातार कोशिशें कर रही है. इसी में से एक है ऐसे कोर्स पढ़ाना, जो युवा आबादी को उनकी तरह बना सके. साथ ही साथ ये युवाओं को देश के नेताओं के लिए वफादार बनने की ट्रेनिंग भी देंगे. खुद चीन के शिक्षा मंत्रालय ने इस तरह का कोर्स शुरू करने की बात की है. खास बात ये है कि इस बार कोर्स चीन के लीडर माओ जेडांग पर नहीं, बल्कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीतियों पर होगा. किसी जीवित नेता पर कोर्स शुरू करना चीन में पहली बार हो रहा है.
शी थॉट नाम से इस कोर्स में बताया जाएगा कि शी जिनपिंग किस तरह से अपने देश को आगे ले जा रहे हैं, उनके कूटनीतिक तौर-तरीके कैसे हैं और क्यों युवाओं को उनका सपोर्ट करना चाहिए. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ये कोर्स चीन की सारी नामी-गिरामी यूनिवर्सिटीज, जैसे पेकिंग यूनिवर्सिटी और शिन्हुआ यूनिवर्सिटी से लेकर पूरे चीन की टॉप 37 यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में पढ़ाया जाएगा.
माओ के नाम पर थे पहले कोर्स
कोर्स के तहत 16 पाठ होंगे, जिनमें से 14 थ्योरी, जबकि 2 प्रैक्टिकल सबक होंगे. खुद जिनपिंग की इजाजत से ये कोर्स शुरू किया जा रहा है, जिसमें बच्चों को चीन को दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनाने की बात सिखाई जाएगी. वैसे इससे पहले चीन में केवल माओ जेडांग पर ही कोर्स था. इसके तहत चीन के किंडरगार्टन से लेकर यूनिवर्सिटी तक में इस तरह के नाटक और प्रोग्राम करवाए जाते हैं जो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना और माओ जेडांग के गुण गाएं. साल के तीन हफ्तों तक हर जगह देशभक्ति के ही प्रोग्राम होते हैं. ये हर स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई का अनिवार्य हिस्सा है.
हांगकांग और मकाऊ में भी पढ़ाएगा
चीन हांगकांग को भी वफादार बनाने के लिए उसे अपने तरीके से पढ़ाएगा. इसके तहत नेशनल सिक्योरिटी एजुकेशन (national security education) शुरू हो रहा है. चीन के सरकारी मीडिया शिन्हुआ समाचार एजेंसी में इस हवाले से खबर आई है. इस नए सिलेबस के बारे में शी जिनपिंग के तहत काम करने वाले शिक्षा अधिकारी शेन चु्न्याओ ने कहा कि युवाओं और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए ये जरूरी होगा. इसके तहत ये भी सिखाया जाएगा कि कैसे पश्चिमी देशों और खासकर अमेरिका ने चीन को हमेशा परेशान किया और आगे बढ़ने से रोका.
देशभक्ति की सीख जरूरी
वॉशिंगटन पोस्ट की एक खबर के मुताबिक चीन सरकार को लगता है कि दशकों तक चले एजुकेशन के कारण देश के लिए वफादार पीढ़ी तैयार हुई है. अब यही तरीका वो अपने प्रशासनिक क्षेत्रों में भी आजमाएगी. चीनी सरकार को यकीन है कि हांगकांग के लोगों को अगर सिखाया जाए कि चीनी पहचान उनके लिए ज्यादा फायदेमंद है तो वे सीख सकेंगे. साथ ही ये भी माना जा रहा है कि चूंकि हांगकांग के युवाओं को कभी देशभक्ति की सीख नहीं मिली इसलिए उन्होंने चीन के खिलाफ विद्रोह किया.
रूस भी नहीं है कम
रूस में भी देशभक्ति के पाठ के साथ व्लादिमीर लेनिन के बारे में पढ़ना अनिवार्य है. फिलहाल पुतिन ने इस सिलेबस में ज्यादा ही दखल दिया है. द मॉस्को टाइम्स के मुताबिक उन्होंने किशोर उम्र के लोगों को पेट्रिओटिक कैंप के जरिए री-एजुकेट करने का प्रस्ताव दिया. इसमें आर्मी के लोग ऐसे बच्चों को री-एजुकेट करेंगे, जिनका कथित तौर पर ब्रेनवॉश हो चुका है और जो रूस के नियम-कायदों पर सवाल उठाते हैं.
उत्तर कोरिया में रोज डेढ़ घंटे किम पर पढ़ाई
हाल ही में नॉर्थ कोरिया में एक कानून बना, जिसके तहत प्री-स्कूल यानी नर्सरी और किंडर गार्टन के बच्चों को किम जोंग उन की बहादुरी के बारे में पढ़ना अनिवार्य होगा. कोर्स में सिलेबस के इस हिस्से को ग्रेटनेस एजुकेशन कहा जा रहा है. इसके तहत न सिर्फ किम जोंग उन, बल्कि उनके पिता और दादा की महानता के पाठ भी पढ़ाए जाएंगे. ये कोर्स डेढ़ घंटे का होगा.