कपल रातोंरात बना करोड़पति, 30 हजार रुपये में खरीदी थी मूर्ति

लोगों को अक्सर पुरानी चीजें (Old Artefacts) बहुत पसंद होती हैं

Update: 2021-10-12 17:21 GMT

लोगों को अक्सर पुरानी चीजें (Old Artefacts) बहुत पसंद होती हैं. कई लोग तो पुरानी चीजों का संग्रह जुटाने में लगे रहते हैं. इसके लिए वो काफी कीमत चुकाने को भी तैयार रहते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो शौक में ऐतिहासिक चीजें खरीद लेते हैं मगर उन्हें उसकी असली वैल्यू का कोई अंदाजा नहीं होता है. हाल ही में ऐसा ही कुछ इंग्लैंड (England) के एक बुजुर्ग कपल (Elderly Couple) के साथ भी हुआ जिन्होंने तय किया कि वो अपने घर की दो पुरानी पड़ी मूर्तियों (Old Statues) को बेचेंगे.

इंग्लैंड के सफॉक (Suffolk) में रहने वाला एक बुजुर्ग कपल हाल ही में अपना घर चेंज कर रहा था. पुराना घर खाली करने के दौरान उनकी नजर गार्डेन में रखी स्फीनिक्स (Sphinxes staute in garden) की दो पुरानी मूर्तियों पर गई. आपको बता दें कि स्फीनिक्स, ईजिप्ट (Egypt) में स्थित विशाल इमारतें हैं जिनका सर इंसान का होता है और शरीर शेर का. ये बेहद एतिहासिक इमारतें हैं और मिस्र के लोगों की हजारों साल पुरानी मान्यताओं का हिस्सा हैं. इस इमारत के छोटे प्रारूप कपल ने कभी 30 हजार रुपये में खरीदे थे जिसे उन्होंने शो-पीस की तरह अपने गार्डेन में रखा था. कपल ने मूव करते वक्त सोचा कि वो उन मूर्तियों को फेंक दें मगर फिर उन्होंने मन बदला और तय किया कि वो मूर्तियों को नीलाम करनेंगे (Auction). उनका मानना था कि नीलामी थोड़े बहुत पैसे ही मिल जाएंगे जो काम आएंगे.
नीलामी के लिए मैंडर ऑक्शनर्स से संपर्क किया. मूर्ति को जांच कर बताया गया कि वो काफी पुरानी और दुर्लभ मूर्ति है. 20 हजार रुपये से बोली लगना शुरू हुई मगर आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि उन दो मूर्तियों को पूरे 2 करोड़ रुपये में खरीदा गया. ऑक्शन से पहले कंपनी के जेम्स नाम के शख्स ने कहा कि खरीदारों को मालूम ही नहीं था कि मूर्तियां करीब सालों पुरानी हैं. जेम्स ने कहा कि ऑक्शन के पहले लोगों में कम अट्रैक्शन था मगर ऑक्शन के दौरान लोग इसमें ज्यादा रुचि लेने लगे. मिरर वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक पहले अंदाजा लगाया गया कि मूर्ति 18वीं या 19वीं शताब्दी की रही होंगी मगर जानकारों का दावा है कि मूर्तियां 5 हजार साल (5000 year old sphinxes) पहले तक की लग लगी हैं जो असल में मिस्र की हैं और उन्हें 18वीं शताब्दी के आसपास अन्य देशों में ले आया गया है.
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