यंगून में सड़क पर देशव्यापी प्रदर्शन, इंटरनेट सेवा बहाल के बाद तेज हुई आंग सान सू ची की रिहाई की मांग
म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट (Myanmar military coup) के खिलाफ रविवार को देश के सबसे बड़े शहर यंगून में हजारों लोगों की भीड़ ने सड़कों पर उतर कर मार्च किया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट (Myanmar military coup) के खिलाफ रविवार को देश के सबसे बड़े शहर यंगून में हजारों लोगों की भीड़ ने सड़कों पर उतर कर मार्च किया. बड़े पैमाने पर जारी देशव्यापी प्रदर्शन की वजह से वर्तमान समय में देश की सत्ता पर काबिज सेना को फिर से देश की इंटरनेट सेवाओं को बहाल करना पड़ा.
'नेटब्लॉक्स' ने की इंटरनेट बहाल होने की पुष्टि
गौरतलब है कि वैश्विक आलोचनाओं के बीच म्यांमार के सैन्य शाषकों ने देश में इंटरनेट सेवा बाधित करने का फैसला लिया था. इस रणनीति के तहत अधिकारियों ने इंटरनेट की सेवाएं एक दिन पहले ही बंद कर दी थीं. इंटरनेट सेवाओं को बाधित किये जाने और उन्हें बंद किये जाने की कार्रवाई पर रखने वाली लंदन की 'नेटब्लॉक्स' सेवा ने इस बात की पुष्टि की है कि म्यांमार में रविवार को आंशिक रूप से इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गई हैं. सोमवार को तख्तापलट होने के बाद से ही प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ती जा रही है.
विदेशी संस्थान को इस बात की आशंका
हालांकि इसी दौरान 'नेटब्लॉक्स' की ओर से यह भी कहा गया है कि हो सकता है कि म्यांमार में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने का फैसला अस्थायी तौर पर किया गया हो. यानी आगे इसे एक बार फिर से बंद किया जा सकता है. संस्थान ने ये भी बताया कि सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल राजधानी समेत सभी जगह अब भी बंद है.
तेज हुई आंग सान सू ची की रिहाई की मांग
गौरतलब है कि देश की चुनी हुई सरकार की नेता 'आंग सान सू ची' (Aung San Suu Kyi) की रिहाई की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. इससे पहले, यंगून समेत देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन की खबरें सामने आईं. नारेबाजी करते हुए लोग शहर के प्रमुख स्थल सुले पगोडा में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सैन्य तख्तापलट का विरोध करते हुए नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की नेता आंग सान सू ची और उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं को नजरबंदी से रिहा करने की मांग की.
पुलिस ने किए थे अतिरिक्त इंतजाम
यंगून विश्वविद्यालय के निकट प्रमुख चौराहे पर एकत्र मजदूर संघों कम से कम 2,000 सदस्यों, छात्र कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने 'लॉन्ग लिव सू ची' और 'सैन्य तानाशाही खत्म करो' के नारे लगाए. उन्होंने मुख्य सड़क की ओर मार्च किया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ. वाहन चालकों ने अपने वाहनों का हॉर्न बजाकर उनका समर्थन किया. इस दौरान पुलिस ने विश्वविद्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार को बंद कर दिया. इसके अलावा पानी की बौछारें करने वाली दो गाड़ियां भी पास ही खड़ी थीं.
प्रदर्शनकारियों ने हाथों में पोस्टर ले रखे थे, जिन पर सू ची और राष्ट्रपति विन मिंत को रिहा करने की अपील की गई थी, जिन्हें उनके आवास में ही नजरबंद रखा गया है और उन पर मामूली अपराधों के आरोप लगाए गए हैं.
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी था बैन
इससे पहले, शनिवार को नए सैन्य शासन ने अधिकतर स्थानों पर इंटरनेट बंद कर दिया था. साथ ही उसने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर भी पाबंदी लगा दी थी. फेसबुक के इस्तेमाल पर इस सप्ताह की शुरुआत में ही रोक लगाई जा चुकी है, हालांकि यह पाबंदी पूरी तरह से प्रभाव में नहीं आई है.