कोरोना काल: घर में आए नन्हे मेहमान के लिए माता-पिता ने निभाई बेहतर जिम्मेदारी

कोरोना महामारी के बीच तनाव व अवसाद के साथ मानसिक तकलीफें बढ़ी हैं। वैज्ञानिकों ने कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक के अध्ययन में पाया है

Update: 2021-07-11 01:08 GMT

कोरोना महामारी के बीच तनाव व अवसाद के साथ मानसिक तकलीफें बढ़ी हैं। वैज्ञानिकों ने कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक के अध्ययन में पाया है कि इस दौरान अभिभावकों में बच्चों को लेकर स्वभाव बेहतर हुआ है। घर में आए नन्हें मेहमान को लेकर दोनों अभिभावकों ने अपनी जिम्मेदारी बेहतर ढंग से निभाई है। इसके साथ ही जोड़ों में अपनत्व और प्यार भी बेहतर देखने को मिला है।

यूनिवर्सिटी द क्यूबेक, मोंट्रियल के वैज्ञानिकों का कहना है कि नवजात बच्चों को लेकर माता-पिता में 2019 की तुलना में 2020 में अपनत्व और प्यार के साथ सहयोग की भावना बढ़ी है। पिता ने अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाई जबकि मां अपने जीवन को लेकर संतुष्ट दिखीं। नवजात के साथ पति-पत्नी के बीच संबंध भी मधुर रहे।

देखभाल में देखी गई गिरावट

लॉकडाउन में बच्चे की देखभाल में गिरावट देखी गई। इसका कारण पहली बार मां बनने वाली महिला को अन्य लोगों का साथ और सलाह नहीं मिली जिसके कारण ऐसी बात सामने आई है। हालांकि घर में अभिभावकों के रहने के कारण बच्चे की देखभाल पहले से बेहतर रही और बच्चे के साथ हर समय कोई न कोई अभिभावक रहा जिससे बच्चे का समय खुशहाल गुजरा।

90 फीसदी अभिभावक बच्चे को लेकर चिंतित

वैज्ञानिकों का कहना है कि 90 फीसदी अभिभावक कोरोना महामारी के बीच बच्चे को लेकर चिंतित रहे। 85 फीसदी अभिभावकों ने बच्चों की देखभाल में अधिक समय दिया और अपनी जिम्मेदारियों का संयुक्त रूप से निर्वाहन किया। लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों ने पूरी नींद ली, उसी का नतीजा रहा कि बच्चे और नवजात के साथ अभिभावकों अधिक समय बिताया और खुश भी रहे।



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