चीन में नहीं कम हो रहे कोरोना मामले, सख्ती से फैल सकती है अराजकता
चीन की जीरो कोविड नीति नाकाम होती दिख रही है। कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने के रोज रिकॉर्ड टूट रहे हैं। इस समय देश का सबसे बड़ा शहर शंघाई कोरोना संक्रमण का हॉटस्पॉट बना हुआ है।
चीन की जीरो कोविड नीति नाकाम होती दिख रही है। कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने के रोज रिकॉर्ड टूट रहे हैं। इस समय देश का सबसे बड़ा शहर शंघाई कोरोना संक्रमण का हॉटस्पॉट बना हुआ है। वहां लॉकडाउन लागू है, लेकिन नए मामलों का सामने आना जारी है। इस बीच, चीन में बढ़ते कोरोना मामलों पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है, जिसे लेकर वो बौखलाया हुआ है। चीनी मीडिया इसे लेकर अपनी नाराजगी भी व्यक्त कर रही है। वहीं, कोरोना पर लगाम लगाने के लिए शी जिनपिंग सरकार द्वारा लगाए गए कठोर प्रतिबंधों के कारण वहां की जनता में अराजकता फैल रही है।
हाल ही में वहां ग्लोबल टाइम्स के पूर्व प्रधान संपादक हू जिजिन ने एक ट्वीट किया था जिसमें ये साफ दिखता है। उन्होंने ट्वीट किया कि शंघाई में महामारी के चरम पर है। ऐसे में अमेरिका के लिए अपने राजनयिक कर्मियों को वापस लेना एक बात है, लेकिन चीन के महामारी नियंत्रण उपायों पर कठोर आरोप लगाना दूसरी बात है। उन्होंने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह गैर-राजनयिक और अनैतिक है। इसके अलावा, चीन के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर चीन की महामारी नियंत्रण नीति के बारे में अमेरिकी पक्ष के आधारहीन आरोपों पर विरोध जताया था। ऐसे में अब चीनी सरकार को यह अनैतिक लग रहा है कि अन्य देशों के लोग चीन की कठिन परिस्थिति की ओर ध्यान दे रहे हैं।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नेटिजन्स सोशल मीडिया पर शिकायत कर रहे हैं कि कोरोना के लिए अत्यधिक उपायों जैसे कि पूर्ण लॉकडाउन लागू करना और बार-बार और व्यापक टेस्ट कराने से उनका वित्तीय/आर्थिक नुकसान हो रहा है।
वहीं, इससे पहले कोरोना की पहली और दूसरी लहर में जब कई देश इस महामारी से बुरी तरह से जूझ रहे थे, तब चीनी नेटिज़न्स ने कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए कोई सटीक नीति न होने को लेकर विदेशी देशों की आलोचना की थी, लेकिन अब चीन की सरकार अपने देश में कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए संघर्ष कर रही है।
वास्तव में, चीन के प्रचार तंत्र ने विश्व के अन्य देशों को इस बात के लिए बदनाम किया कि कोरोना महामारी के प्रकोप को रोकने में विफल रहे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने उस समय कोरोना के प्रकोप को रोकने में अपनी 'जीरो कोविड नीति' की सफलता का खूब प्रदर्शन किया था, लेकिन साथ ही साथ दूसरे देशों में फैली महामारी के प्रति न्यूनतम संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया था।
हालांकि, इस समय चीन के कम से कम 23 शहरों में पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से लॉकडाउन लगा हुआ हैं। इन शहरों में 193 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं। वहीं, चीन का सबसे बड़ा शहर शंघाई कोरोना के प्रकोप से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है। यहां के हालात बेहद खराब हैं। पिछले कई दिनों से वहां रोज 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इतना ही नहीं, कोरोना के कारण वहां बुजुर्गों की ज्यादा संख्या में मौत हो रही है, जिसको लेकर लोगों ने प्रशासन पर देखभाल में ढील का आरोप लगाया है।
चीन के बंदरगाह शहर गुआंगझोऊ को कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद सोमवार को आगंतुकों के लिए बंद कर दिया गया। चीन के शंघाई शहर में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। सोमवार को शंघाई में 26,087 मामले सामने आए। इनमें से 914 मामलों में संक्रमण के लक्षण थे।
कोरोना प्रसार को रोकने के लिए 2.60 करोड़ की आबादी वाले शंघाई में कड़ा लॉकडाउन लगाया गया है, जहां कई परिवारों को तीन सप्ताह से पहले घरों से निकलने की इजाजत नहीं है। हालांकि गुआंगझोऊ में इस तरह के लॉकडाउन की घोषणा फिलहाल नहीं की गई है। यह बंदरगाह शहर हांगकांग के उत्तर पश्चिम में है और यहां कई बड़ी कंपनियों के दफ्तर हैं। गुआंगझोऊ में सोमवार को संक्रमण के 27 नए मामले सामने आए।