संक्रमित को बहरा कर सकता है कोरोना, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया दावा
वैज्ञानिकों ने किया दावा
कोरोनावायरस इंसान को संक्रमित करने के बाद उन्हें बहरा भी बना सकता है। नई रिसर्च में सामने आया कि है कि यह वायरस कान के भीतरी हिस्से को भी संक्रमित कर सकता है। कोविड से संक्रमित 10 मरीजों में कान से जुड़ी दिक्कतों को देखी गईं। यह दावा अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने किया है।
रिसर्च में का दावा किया गया है कि कोरोना कान की ऐसी कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है जो इंसान को सुनने और शरीर का बैलेंस बनाने का काम करती हैं।
ऐसे हुई रिसर्च
शोधकर्ता डॉ. कोन्स्टेंटिना स्टैंटोविक और डॉ. ली घेरके का कहना है सायटोमेगेलो, मम्पस और हेपेटाइटिस समेत कई ऐसे वायरस हैं जिनका संक्रमण फैलने सेइंसानों में बहरेपन के मामले सामने आते हैं। यह वायरस बहरेपन की वजह क्यों बनते हैं, यह अब तक नहीं समझा जा सका है।
इसे समझने के लिए दोनों ही वैज्ञानिक कोरोना की महामारी से पहले ही कानों के अंदरूनी हिस्से में होने वाले संक्रमण पर रिसर्च कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने इसका एक मॉडल भी तैयार किया था।
2020 की शुरुआत में शोधकर्ताओं के सामने ऐसे मामले सामने आए जिनमें कोरोना के संक्रमण के बाद मरीजों में सुनाई न देना, टिनिटस (कानों में आवाज आना) और चक्कर आने की समस्या थी।
डॉ. कोन्स्टेंटिना स्टैंटोविक कहती हैं, यह समझ नहीं आ रहा था कि कोरोना के मरीजों में बहरेपन और टिनिटस के मामले क्यों कॉमन है। ऐसे मामले सामने आने के बाद हमने अपनी योजना में बदलाव किया और कोरोना व कान के कनेक्शन को समझने के लिए रिसर्च शुरू की।
ऐसे समझे गए खतरे
वैज्ञानिकों का कहना है, कोरोना और कान का कनेक्शन समझने के लिए इंसान की स्किन से ही एक कान का मॉडल बनाया गया। इनमें वो सभी कोशिकाएं थीं जो इंसानी कान में होती हैं। इससे कई नई बातें सामने आईं।
शोधकर्ताओं का कहना है कान की समस्याओं से जूझने वाले कोविड के 10 मरीजों की जांच की गई। इनमें 9 में टिनिटस से जूझ रहे थे। 6 को चक्कर आने की शिकायत भी थी। इसके अलावा सभी 10 मरीजों की सुनने की क्षमता भी घट गई थी।