तालिबान के शासन के दौरान ईरान के चरमपंथी संगठन के साथ विवादास्पद रिश्ते, कहा- 'देश की आबादी की प्रतिनिधि नहीं है सरकार'

तालिबान ने समावेशी सरकार बनाने का वादा किया था, जबकि इसमें सिर्फ पुरुषों को जगह दी गई है.

Update: 2021-09-14 11:44 GMT

ईरान (Iran) अफगानिस्तान (Afghanistan) में बनाई गई तालिबान (Taliban) की अंतरिम सरकार से खुश नजर नहीं आ रहा है. ईरान ने सोमवार को आरोप लगाया कि पड़ोसी देश अफगानिस्तान में पिछले सप्ताह घोषित तालिबान की अंतरिम सरकार (Taliban Government) देश की आबादी की प्रतिनिधि नहीं है. ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैद खातीबजादेह ने कहा, ये निश्चित रूप से समावेशी सरकार नहीं है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय और ईरान उम्मीद कर रहे थे. तेहरान (Tehran) में एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में बात करते हुए उन्होंने कहा, हमें वास्तव में इंतजार करना होगा और देखना होगा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय मांगों पर कैसे प्रतिक्रिया देता है.

ईरान अफगानिस्तान (Iran-Afghanistan) के साथ 900 किलोमीटर की सीमा को साझा करता है. देश में अभी 35 लाख अफगान शरणार्थी रहते हैं. वहीं, तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद ईरान को डर है कि शरणार्थियों की एक बड़ी आबादी फिर से देश में प्रवेश कर सकती है. साल 1996-2001 में अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के दौरान ईरान के चरमपंथी संगठन के साथ विवादास्पद रिश्ते रहे. दरअसल, ईरान ने तालिबान सरकार को कभी मान्यता नहीं दी. हालांकि, हाल के महीनों में तेहरान तालिबान (Iran-Taliban Relations) के साथ मेल-मिलाप बढ़ाने में जुटा हुआ है.

अफगानिस्तान में तालिबान की हिंसा से संयुक्त राष्ट्र चिंतित
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने सोमवार को कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और समावेशिता को लेकर किए अपने वादे तोड़ रहे हैं. उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा और कथित प्रतिशोध की हत्याओं की भी आलोचना की. मिशेल बाचेलेट ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि अफगान सुरक्षा बल के पूर्व सदस्यों की हत्या की गई है. पूर्ववर्ती प्रशासन में काम करने वाले लोगों को हिरासत में लिया गया है और बाद में उनकी लाश बरामद हुई है. उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि पूर्व अधिकारियों की घर-घर तलाशी की जा रही है और प्रदर्शनकारियों एवं पत्रकारों के खिलाफ हिंसा की जा रही है.
अंतरिम सरकार में महिलाओं को नहीं मिली है जगह
गौरतलब है कि तालिबान ने पिछले हफ्ते अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार का ऐलान किया. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया है. वहीं, इस सरकार में कई ऐसे तालिबानी नेता शामिल हैं, जो अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की वांटेड सूची में शामिल हैं. ऐसा ही एक नाम है सिराजुद्दीन हक्कानी का, जो हक्कानी नेटवर्क का मुखिया है. हक्कानी नेटवर्क और अल-कायदा के करीबी रिश्ते रहे हैं. सिराजुद्दीन हक्कानी अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई की वांटेड लिस्ट में शामिल हैं. तालिबान ने समावेशी सरकार बनाने का वादा किया था, जबकि इसमें सिर्फ पुरुषों को जगह दी गई है.

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