चीन और ताइवन में टकराव तेज, नैंसी पेलोसी की यात्रा पर विवाद गहराया
यूएसएस अमेरिका को जापान के सासेबो में तैनात किया है।
ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका में युद्ध जैसी स्थिति बन गई है। चीन की तमाम धमकी के बावजूद अमेरिकी सेना ने देश की सीनेट अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के लिए तैयारी तेज कर दी है। अमेरिका अपने महाविनाशक एयरक्राफ्ट कैरियर को ताइवान की सीमा के पास तैनात किया है। हालांकि, नैंसी पेलोसी की यात्रा की अभी अमेरिका की ओर से आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की फोन वार्ता के बाद भी इस समस्या का कूटनीतिक समाधान नहीं निकल सका। अब यह माना जा रहा है कि या तो चीन को पीछे हटना होगा नहीं तो ताइवान के मामले में चीन और ताइवन में टकराव तेज हो सकता है। आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर अमेरिकी सेना कतई बैकफूट पर नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना का लक्ष्य नैंसी को सुरक्षित ताइवान की यात्रा कराना है। प्रो पंत ने कहा कि ऐसी स्थिति में चीन के पास कोई विकल्प नहीं बचता। अगर चीनी सेना नैंसी की सुरक्षा पर किसी प्रकार का प्रहार करती है तो इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। अगर चीन, ताइवान के मामले में आक्रामक मूड अपनाता है तो दोनों सेनाओं के बीच जंग तय है।
2- प्रो पंत ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग अपने तीसरे कार्यकाल के लिए घरेलू मोर्चे पर कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। ऐसे में चिनफिंग अभी अमेरिका के साथ किसी भी तरह के जंग की स्थिति में नहीं हैं। उधर, अमेरिकी सेना को जिस तरह से चीनी सेना ने ललकारा है उससे अमेरिका की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। ऐसे में अमेरिकी सेना के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वह किसी भी हाल में नैंसी को ताइवान तक पहुंचाए। हालांकि, शुरुआत में नैंसी की ताइवान यात्रा पर मीडिया पर बहुत ज्यादा नहीं कहा गया, लेकिन अमेरिकी सेना की तैयारी से यह साफ हो गया है कि नैंसी ताइवान जरूर जाएंगी।
3- प्रो पंत ने कहा कि ऐसा लगता है कि नैंसी की ताइवान यात्रा को लेकर कूटनीतिक समाधान फेल हो जाने के बाद इस स्थिति को अमेरिकी सेना पर छोड़ दिया गया है। अमेरिकी सेना के पास नैंसी को ताइवान तक की सुरक्षित यात्रा कराने का जिम्मा है। इसके लिए अमेरिकी सेना ने हर तरह की परिस्थति से निपटने के लिए रणनीति तैयार की होगी। उन्होंने कहा कि अगर इस यात्रा में चीन कोई अवरोध उत्पन्न करता है तो उसके लिए अमेरिकी सेना पूरी तरह से तैयार है।
4- प्रो पंत ने कहा कि खास बात यह है कि नैंसी की यात्रा ने बाइडन प्रशासन की ताइवान नीति को स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह भी हो सकता है कि नैंसी यात्रा के बहाने चीन बाइडन प्रशासन को अंतिम रूप से टटोल रहा हो। चीन की यह रणनीति भी हो सकती है कि वह इस बात की जांच कर रहा हो क्या बाइडन प्रशासन ताइवान को लेकर जंग करने की स्थिति में है। ऐसे में यह साफ हो गया है कि अमेरिका किसी भी हाल में ताइवान की सुरक्षा के लिए संकल्पित है।
5- प्रो पंत ने कहा कि अमेरिकी सेना का प्रशांत महासागर क्षेत्र में बड़ा जमावड़ा है। प्रशांत महासागर में एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस अब्राहम लिंकन, लैंडिंग हेलिकाप्टर डाक यूएसएस इसेक्स, 36 अन्य युद्धपोत, तीन सबमरीन हवाई द्वीप में रिमपैक अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं। उन्हें कहा कि आपात स्थिति में उन्हें ताइवान की ओर मोड़ा जा सकता है। वहीं अमेरिका के दो एचसी- 130 जे विमान भी ओकिनावा पहुंच चुके हैं। उनके साथ कई केसी-135 टैंकर भी पहुंचे हैं जो हवा में तेल भर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर पेलोसी ताइवान की यात्रा करती है तो राजनयिक प्रोटोकाल के तहत ताइवान की प्रेसिडेंट से उनका मिलना चीन को भड़काने वाला हो सकता है।
नैंसी पेलोसी की एशियाई देशों की यात्रा
गौरतलब है कि नैंसी पेलोसी और उनके साथ सांसदों का एक दल सोमवार को सिंगापुर पहुंचा है। नैंसी एक सैन्य विमान C-40C से वाशिंगटन से रवाना हुई हैं। इस बीच सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि नैंसी ने प्रधानमंत्री ली हसिइन लूंग से मुलाकात की है। पेलोसी का मलेशिया, जापान और साउथ कोरिया जाने का भी कार्यक्रम है। उन्होंने अभी तक अपनी ताइवान यात्रा के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। अमेरिका ने महाविनाशक परमाणु एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन, जापान के ओकिनावा के पास तैनात एसाल्ट शिप यूएसएस त्रिपोली और यूएसएस अमेरिका को जापान के सासेबो में तैनात किया है।