नए शोध में दावा: अमेजन के पक्षियों का घट रहा आकार

"इसमें कोई शक नहीं है कि यह सिर्फ चिड़ियों के साथ नहीं बल्कि हर जगह हो रहा है"

Update: 2021-11-15 11:32 GMT

एक नए शोध के मुताबिक अमेजन के जंगलों के अनछुए हिस्सों में भी जलवायु परिवर्तन का असर हो रहा है. पक्षियों के शरीर का आकार घट रहा है और उनके पंखों का फैलाव बढ़ रहा है.साइंस अड्वांसेस पत्रिका में छपे नए शोध के नतीजों में दावा किया गया है कि पिछले चार दशकों में ज्यादा गर्म और सूखे मौसम की वजह से अमेजन के जंगलों के अंदर रहने वाले पक्षियों पर यह असर पड़ रहा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि ये बदलाव पोषण संबंधी और अन्य चुनौतियों की प्रतिक्रिया के रूप में आए होंगे. यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि ऐसा विशेष रूप से जून से नवंबर के सूखे मौसम के दौरान हुआ होगा. इस शोध के मुख्य लेखक वितेक जिरिनेक का कहना है, "मेरे लिए सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब दुनिया के सबसे बड़े वर्षावनों के ठीक बीच में ऐसी जगह हो रहा है जहां इंसानों का सीधा हस्तक्षेप भी नहीं है" वजन में दो प्रतिशत की कमी जिरिनेक इंटीग्रल इकोलॉजी रिसर्च सेंटर में इकोलॉजिस्ट हैं. अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उन्होंने 40 सालों की अवधि में 15,000 से भी ज्यादा पक्षियों को पकड़ा, उनकी लंबाई नापी, उनका वजन लिया और उन्हें टैग किया.

उन्होंने पाया कि लगभग सभी पक्षी 1980 के दशक के मुकाबले हल्के हो गए हैं. अधिकांश प्रजातियों ने हर दशक में औसतन अपने शरीर के वजन का दो प्रतिशत गंवा दिया. इसका मतलब है, कोई प्रजाति जिसका वजन 1980 के दशक में 30 ग्राम रहा होगा उसका अब औसत वजन 27.6 ग्राम होगा. यह डाटा जंगल में किसी एक विशेष स्थान से नहीं लिया गया बल्कि एक बड़े इलाके से लिया गया. इसका मतलब है कि यह लगभग हर जगह ही हो रहा है.
कुल मिलाकर वैज्ञानिकों ने 77 प्रजातियों की पड़ताल की जो जंगल की ठंडी, अंधेरी जमीन से लेकर सूर्य की रौशनी में नहाए वनस्पति के मध्य भाग में रहते हैं. ऊर्जा की चुनौतियां इस मध्य भाग में जो पक्षी सबसे ऊपर की तरफ रहते हैं, ज्यादा उड़ते हैं और ज्यादा देर तक गर्मी का सामना करते हैं उनके वजन में और उनके पंखों के आकार में सबसे ज्यादा बदलाव आए. टीम ने अनुमान लगाया कि ऐसा ऊर्जा की चुनौतियों की वजह से हुआ होगा. उदाहरण के तौर पर फलों और कीड़ों की कमी या गर्मी की वजह से होने वाले तनाव के कारण. जिरिनेक ने कहा, "जलवायु परिवर्तन की वजह से छोटे आकार फायदेमंद होगा इसकी तो अच्छी सैद्धांतिक व्याख्या है, लेकिन पंखों के बड़े होने को समझना ज्यादा मुश्किल है" उन्होंने कहा कि इसीलिए उन्होंने "विंग लोडिंग" की बात कही है. लंबे पंख और कम वजन-पंख अनुपात की वजह से उड़ान ज्यादा अच्छी रहती है. ठीक वैसे जैसे लंबे पंखों वाले एक पतले जहाज को उड़ने के लिए कम ऊर्जा चाहिए होती है.
वजन और पंखों का अनुपात अगर ज्यादा होगा तो पक्षी को उड़ते रहने के लिए पंख और तेजी से फड़फड़ाने पड़ेंगे, उसे और ऊर्जा की जरूरत होगी और वो और ज्यादा मेटाबॉलिक गर्मी पैदा करेगा. कम समय में बड़ा परिवर्तन जिरिनेक ने यह भी कहा कि इस अध्ययन को यह पता करने के लिए नहीं बनाया गया था कि ये बदलाव प्राकृतिक चुनाव की वजह से होने वाले जेनेटिक बदलावों की वजह से हो रहे हैं या ये उपलब्ध संसाधनों के आधार पर विकास के अलग अलग पैटर्न के नतीजे हैं. उन्होंने बताया कि ये दोनों बातें संभव हैं, "लेकिन एवल्यूशन छोटे अंतरालों में भी होता है इसके अच्छे प्रमाण उपलब्ध हैं" इस तरह के तेज एवल्यूशन का एक उदाहरण हैं अफ्रीका में हाल ही में सामने आने वाले बिना दांत के हाथी. अनुमान है कि ऐसा तस्करी की वजह से हुआ है. इस नए अध्ययन के लेखकों का मानना है कि संभव है दुनिया में और प्रजातियां भी इस तरह के दबावों का सामना कर रही होंगी जिनका अभी तक अध्ययन नहीं किया गया है. अध्ययन के सह-लेखक और लूसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक फिलिप स्टोफर ने कहा, "इसमें कोई शक नहीं है कि यह सिर्फ चिड़ियों के साथ नहीं बल्कि हर जगह हो रहा है" 


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