अध्ययन में दावा- ब्रह्मपुत्र में अनुमान से कहीं जल्द आएगा विनाशकारी बाढ़
अमेरिका स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों सहित अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि पहले अनुमान लगाया गया था
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है कि पूर्व के अनुमान के मुकाबले ब्रह्मपुत्र नदी में विनाशकारी बाढ़ कहीं जल्दी आएगी। यह स्थिति तब होगी जब इस आकलन में मानवीय गतिविधियों से जलवायु पर पड़ने वाले प्रभाव को शामिल नहीं किया जाएगा। अध्ययन में इस दावे का आधार गत 700 साल में नदी के बहाव का विश्लेषण है। जर्नल 'नेचर कम्युनिकेशन' में प्रकाशित रिसर्च पेपर के मुताबिक तिब्बत, पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में अलग-अलग नाम से बहने वाली नदी में दीर्घकालिक न्यूनतम बहाव पूर्व के अनुमान से कहीं अधिक है।
अमेरिका स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों सहित अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि पहले अनुमान लगाया गया था कि नदी के न्यूनतम बहाव में प्राकृतिक अंतर मुख्य जल स्तर पर आधारित है, जिसकी गणना वर्ष 1950 से की जा रही है। विज्ञानियों का कहना है कि मौजूदा अध्ययन तीन स्तरीय आंकड़ों पर आधारित है। इसके मुताबिक पूर्व का अनुमान नए अनुमान से 40 प्रतिशत कम है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कार्यरत और अध्ययन के प्रमुख लेखक मुकुंद पी राव ने कहा कि चाहे आप जलवायु मॉडल पर विचार करें या प्राकृतिक परिवर्तनशीलता पर, संदेश एक ही है। हमें मौजूदा अनुमानों के विपरीत कहीं जल्दी-जल्दी बाढ़ आने की विभीषिका के लिए तैयार रहना होगा। राव और उनके साथियों ने यह पता लगाने की कोशिश की कि भविष्य में और कितने बड़े पैमाने पर बाढ़ आ सकती हैं। इसके लिए उन्होंने उत्तर बांग्लादेश में नदी के औसत बहाव के आंकड़े का विश्लेषण किया, जो 1956-1986 के बीच 41,000 घन मीटर प्रति सेकंड था। 1987-2004 के बीच बहाव बढ़कर 43,000 घन मीटर प्रति सेकंड हो गया।
1998 में बांग्लादेश में आई थी सबसे विनाशकारी बाढ़
अध्ययन में उन्होंने रेखांकित किया कि वर्ष 1998 में बांग्लादेश में सबसे विनाशकारी बाढ़ आई थी जिसमें 70 प्रतिशत हिस्सा पानी में डूब गया था और उस समय पानी का बहाव दोगुना था। विज्ञानियों ने तिब्बत, म्यांमार, नेपाल और भूटान के 28 स्थानों पर प्राचीन पेड़ों के तने में बनी गांठों का अध्ययन किया जो ब्रह्मपुत्र नदी के जल आधार क्षेत्र में आते हैं, क्योंकि मिट्टी में उच्च आद्रता होने पर पेड़ों के तने में कहीं बड़ी और स्पष्ट गांठ बनती हैं। इसके आधार पर वैज्ञानिकों ने वर्ष 1309 से 2004 के 694 वर्ष के कालखंड का आकलन किया और पाया कि सबसे बड़ी और स्पष्ट गांठें उन वर्षो में बनीं जब भयानक बाढ़ आई थी। राव ने बताया कि पहले के अनुमान के अनुसार इस सदी के अंत में हर साढ़े चार साल पर हमें भयानक बाढ़ की उम्मीद करनी चाहिए लेकिन हम कह रहे हैं कि हमें हर तीन साल पर विनाशकारी बाढ़ की उम्मीद करनी चाहिए।