ईसाई दंपती की मौत की सजा को पलटा, सुबूत के अभाव में किया गया बरी
मुस्तफा चौधरी ने बताया कि अभियोजन पक्ष फैसले के खिलाफ सभी उपलब्ध उपायों का इस्तेमाल करेगा।
एक पाकिस्तानी अदालत ने गुरुवार को एक ईसाई दंपती की मौत की सजा को पलट दिया। ईशनिंदा के एक मामले में दंपती को मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन, सुबूत के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया। वकीलों ने कहा कि उन्होंने सात साल मौत के खौफ में बिताए थे।
निचली अदालत ने एक कारखाने के चौकीदार शफकत इमैनुएल और उनकी पत्नी शगुफ्ता कौसर को 2014 में एक अन्य व्यक्ति खालिद मकसूद को एक संदेश में पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी भेजने के लिए मौत की सजा सुनाई थी।
दंपती के वकील सैफ-उल-मलूक ने रायटर को बताया कि लाहौर हाई कोर्ट ने दंपती को इस मामले में बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि अगले दो दिनों में अदालत से विस्तृत आदेश मिलने की उम्मीद है। दूसरी तरफ अभियोजन पक्ष के वकील गुलाम मुस्तफा चौधरी ने बताया कि अभियोजन पक्ष फैसले के खिलाफ सभी उपलब्ध उपायों का इस्तेमाल करेगा।