कोरोना वायरस से मुकाबले में आ सकती है कोलेस्ट्राल की दवा, 41 फीसद कम हो जाता है जोखिम

स्टैटिन का संबंध अस्पतालों में भर्ती कोरोना रोगियों में मौत के कम खतरे से पाया गया है।'

Update: 2021-07-16 11:01 GMT

कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले में कोलेस्ट्राल कम करने वाली दवा को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि यह दवा कोरोना में काम आ सकती है। इससे मौत के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अध्ययन के अनुसार, स्टैटिन दवा का इस्तेमाल करने वाले रोगियों में कोरोना से मौत का खतरा 41 फीसद कम पाया गया है। यह दवा आमतौर पर ब्लड कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करने में इस्तेमाल की जाती है।

स्टैटिन कोलेस्ट्राल बनने के लिए उत्तरदायी लिवर एंजाइम को रोकने का काम करती है। अमेरिकी सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन का अनुमान है कि 93 फीसद मरीज कोलेस्ट्राल कम करने के लिए स्टैटिन का इस्तेमाल करते हैं। इस दवा के उपयोग का संबंध उन कोरोना रोगियों में मौत के 32 फीसद कम खतरे से पाया गया है, जो हृदय रोग या उच्च रक्तचाप से पीडि़त रहे हैं।
अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, ऐसे मरीज स्टैटिन और उच्च रक्तचाप रोधी दवाओं के इस्तेमाल के चलते कोरोना से उबर सकते हैं। पीएलओएस वन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह निष्कर्ष 10 हजार 541 मरीजों के डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है।
इन मरीजों को कोरोना संक्रमण के चलते गत वर्ष जनवरी से सितंबर के दौराना अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर लौरी डेनियल ने कहा, 'हम अपने पूर्व के नतीजों की पुष्टि करते हैं कि स्टैटिन का संबंध अस्पतालों में भर्ती कोरोना रोगियों में मौत के कम खतरे से पाया गया है।'


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