एक अहम फैसले से पहले चीन के रक्षा मंत्री का अगले सप्ताह श्रीलंका दौरा, जानिए पूरा मामला
यहां चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के चलते पाकिस्तान की ही काफी बड़ी भूमि चीन इस्तेमाल कर रहा है.
चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगहे (Wei Fenghe) तीन दिवसीय यात्रा पर अगले हफ्ते श्रीलंका पहुंचेंगे. वह राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से मुलाकात करेंगे. श्रीलंका सरकार (Sri Lanka Government) के सूचना विभाग ने बताया कि जनरल वेई 27 अप्रैल को कोलंबो पहुंचेंगे और कोविड-19 महामारी (COVID 19 Pandemic) की शुरुआत के बाद वह देश का दौरा करने वाले चीन के उच्च स्तर के दूसरे अधिकारी होंगे. अक्टूबर में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष यांग जिएची ने द्वीपीय देश की यात्रा की थी.
विभाग ने कहा कि जनरल वेई श्रीलंकाई राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे. चीन के रक्षा मंत्री की द्वीपीय देश की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब श्रीलंका का उच्चतम न्यायालय चीन द्वारा बनाए जा रहे विवादित बंदरगाह शहर की प्रशासनिक इकाई की संवैधानिकता पर अगले सप्ताह के शुरू में अपना फैसला सुना सकता है (Sri Lanka China Relations). कोलंबो पोर्ट सिटी संबंधी प्रस्तावित विवादास्पद कानून के खिलाफ विपक्षी दलों, नागरिक समाज के लोगों और श्रमिक यूनियनों की ओर से कई याचिकाएं दायर की गई हैं.
संबंधित कानून पर जनमत संग्रह की मांग
याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि 1.4 अरब डॉलर की परियोजना देश की संप्रभुता, संविधान और श्रम अधिकारों का उल्लंघन करती है. वे चाहते हैं कि संबंधित कानून पर जनमत संग्रह कराया जाए (China Sri Lanka Relations). श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यों की पीठ ने सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी है. चीन को लेकर इस तरह की चिंता अन्य कई देश भी जता चुके हैं (Protests Against China). इससे पहले ऐसे ही हालात नेपाल में भी देखने को मिले थे. जहां चीन ने कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था और नेपाल के लोगों ने उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.
दूसरे देशों में भी यही हाल
चीन एशिया में अपना प्रभुत्व जमाने के उद्देश्य से यहां के छोटे देशों में निवेश के नाम पर अपनी पैठ जमाता है. वह विकास और ऋण देने का बहाना बनाकर उस देश की भूमि को अपने कब्जे में ले लेता है. ऋण का भार इतना बढ़ जाता है, कि संबंधित देश कुछ कह पाने की स्थिति में भी नहीं होता. चीन ने श्रीलंका के अलावा पाकिस्तान में भी ऐसा ही कुछ किया हुआ है (China in Pakistan). यहां चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के चलते पाकिस्तान की ही काफी बड़ी भूमि चीन इस्तेमाल कर रहा है.