पकिस्तानी सेना प्रमुख के साथ चीनी रक्षा मंत्री ने की बातचीत, चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का रहा अहम विषय
पीओके इलाके में मौजूद इस परियोजना को लेकर चीन की काफी चिंताएं हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत के साथ सरहद पर सात महीने से जारी तनाव और बढ़ती सर्दी के बीच चीन ने अचानक अपने रक्षा मंत्री को इलाके के उन दो देशों के घर भेजा है, जिनसे भारतीय सीमा लगती है. इस कड़ी में महज़ 24 घण्टे के भीतर चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही नेपाल के बाद सोमवार को इस्लामाबाद पहुंचे.
पाकिस्तान और चीन की बरसों पुरानी सांठगांठ और भारत के साथ LAC और LoC पर एक साथ जारी तनाव के बीच फेंगही का ताजा दौरा शंका की त्यौरियां चढ़ाने के काफी सबब देता है. पाकिस्तानी सेना की तरफ से जारी बयान के मुताबिक पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ उनकी मुलाकात में क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी रक्षा सहयोग के मुद्दों पर बात हुई. इसके अलावा दोनों मुल्कों के बीच सैन्य सहयोग के एक समझौते पर भी दस्तखत किए गए.
महत्वपूर्ण है कि काठमांडू में भी चीनी रक्षा मंत्री ने नेपाली सेना मुख्यालय जाकर जनरल पूर्ण चन्द्र थापा से मुलाकात की थी. चीनी रक्षा मंत्री ने काठमांडू से रवाना होने से पहले नेपाली सेना को सैन्य प्रशिक्षण, स्टूडेंट एक्सचेंज और रक्षा साज़ो-समान की आपूर्ति जल्द फिर शुरू करने का भरोसा दिया. इतना ही नहीं कोविड महामारी से लड़ाई के नाम पर अतिरिक्त सहयोग देने का भी वादा किया.
महत्वपूर्ण है कि चीन के रक्षा मंत्री की नेपाल और पाकिस्तान की यह यात्रा ऐसे वक्त हो रही है जब काठमांडू और इस्लामाबाद में बैठी सरकारें राजनीतिक संकट से भी जूझ रही हैं. नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपनी ही पार्टी के भीतर आंतरिक विरोध का सामना कर रहे हैं जिनके खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड ने मोर्चा खोल रखा है. ओली पर पद छोड़ने का दबाव है.
रविवार 29 नवम्बर को चीनी रक्षा मंत्री से मुलाकात के एक दिन पहले ही ओली ने प्रचंड की तरफ से लगाए गए आरोपों पर 38 पन्नों का अपना स्पष्टीकरण सौंपा था. गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों के दौरान नेपाल की अंदरूनी सियासत और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्कलह को सुलझाने की कोशिश में चीनी राजदूत की सक्रिय भूमिका सामने आई.
पाकिस्तान में भी राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति ऐसी है, जिसमें केवल सत्ता पर काबिज़ इमरान खान की पार्टी पीटीआई ही नहीं, बल्कि इस बार पाक सेना भी निशाने पर है. साथ ही चीनी रक्षा मंत्री का दौरा गिलगित बाल्टिस्तान को अंतरिम सूबा बनाने के इमरान खान के एलान के बाद हो रहा है. जानकारों के मुताबिक इस फैसले के पीछे भी पाक पर चीन का दबाव ही है.
इस बीच इस्लामाबाद में जारी बयान में पाक फौज की तरफ से जारी बयान में इस बात का जिक्र किया गया कि पकिस्तानी सेना प्रमुख के साथ चीनी रक्षा मंत्री की बातचीत का अहम विषय चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर भी रहा. इस गलियारे का बड़ा हिस्सा गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है और पीओके इलाके में मौजूद इस परियोजना को लेकर चीन की काफी चिंताएं हैं.
वैसे तो चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही का कार्यक्रम नेपाल और पकिस्तान के बाद भारत के अन्य पड़ोसी बांग्लादेश जाने का भी था. हालांकि बांग्लादेशी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक यह दौरा फिलहाल टल गया है. बांग्लादेश विदेश मंत्रालय सूत्रों के हवाले से इस बाबत छपी खबरों में चीनी रक्षा मंत्री की यात्रा टलने का कोई कारण नहीं बताया गया है.