आतंकी घटना को बताया महज हादसा
ज्ञात हो, पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीइसी) के तहत कई परियोजनाएं चल रही हैं। इसमें हजारों चीनी नागरिक विभिन्न पदों पर कार्य कर रहे हैं। पिछले बुधवार को परियोजना स्थल के पास एक बस में बम विस्फोट में नौ चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। घटना को पाकिस्तान ने दबाने की कोशिश में महज हादसा बताया। बाद में जब चीन ने आंख दिखाई तो गृह मंत्रालय ने बम विस्फोट को आतंकी घटना बताकर जांच शुरू कर दी।
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चीनी नागरिकों को पाकिस्तान में हमले का डर
इस मामले के बाद चीनी परियोजनाओं को गहरा धक्का लगा है। यहां काम करने वाले चीनी नागरिक पाक छोड़ना चाहते हैं। चीन का एक पंद्रह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी जांच के लिए पाकिस्तान पहुंच गया है। परियोजना पर काम करने वाली चीनी कंपनी गेझुबा ग्रुप कंपनी के यहां से ढाई हजार पाकिस्तानियों को नौकरी से निकाले जाने और कार्यस्थल से बाहर किए जाने के बाद स्थानीय स्तर पर हालात और खराब हो गए हैं। चीनी कंपनी की इस कार्रवाई से स्थानीय लोगों में तेजी से आक्रोश बढ़ रहा है। चीनी नागरिकों को अब फिर हमले का डर सता रहा है।
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चीन ने की पाक के गृह मंत्री से बात
इस संबंध में चीन के स्टेट काउंसलर और नागरिक सुरक्षा मंत्री झाओ केझी ने पाक के गृह मंत्री शेख रशीद अहमद से वार्ता की। प्रधानमंत्री इमरान खान को भी हर रोज बीजिंग को हमले की जांच की प्रगति रिपोर्ट देनी पड़ रही है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, पाकिस्तान सरकार की खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पकड़ बेहद कमजोर है। यहां तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान पूरी तरह से सक्रिय है।
पाकिस्तान का कहना है कि गैस रिसाव के कारण यह धमाका हुआ था।
अमेरिका बोला- दिखावती कार्रवाई न करे पाक
वहीं, अमेरिका बोला कि पाकिस्तान दिखावती कार्रवाई की जगह आतंकी फंडिंग पर निर्णायक कदम उठाए। पाकिस्तान जून, 2018 से आतंकी फंडिंग को लेकर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट यानी निगरानी सूची मंे है। आतंकवाद के खिलाफ एफएटीएफ की 27 सूत्रीय कार्य योजना के तहत जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान को निर्णायक कदम उठाने हैं।
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साथ ही जैश सरगना मसूद अजहर और लश्कर सरगना हाफिज सईद की जांच करने और मुकदमे चलाने को भी कहा गया है। इस संबंध में अमेरिका का कहना है कि आतंकी सरगनाओं के खिलाफ किसी भी किस्म की लापरवाही पाकिस्तान को गहरे संकट में डाल सकता है और इस चक्कर में ग्रे लिस्ट से काली सूची में जा सकता है। उसे इस कार्य योजना को शीघ्रता के साथ पूरा करना चाहिए।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने सोमवार को कहा, 'एफएटीएफ के एजेंडे को लागू करने में फिलहाल पाकिस्तान का काम संतोषजनक है। लेकिन उसे अभी बहुत करना बाकी है।'बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी फं¨डग रोकने और इसकी निगरानी के लिए स्थापित एफएटीएफ की गत माह बैठक हुई थी। इसमें मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग को रोकने में नाकाम पाए जाने पर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का निर्णय लिया गया था।