चीन का तियानवेन-1 अंतरिक्ष यान मंगल की कक्षा में पहुंचा, लेकिन लैंडिंग की प्रक्रिया होती है सबसे चुनौतीपूर्ण
जहां 1976 में अमेरिकी वाइकिंग 2 (Viking 2) लैंडर उतरा था.
चीन (China) ने कहा है कि उसका तियानवेन-1 अंतरिक्ष यान (Tianwen-1 spacecraft) मंगल ग्रह (Mars) की अस्थायी पार्किंग कक्षा में प्रवेश कर गया है. आने वाले महीनों में चीन लाल ग्रह (Red Planet) पर एक रोवर (Rover) को उतारने का प्रयास करने वाला है. 'चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन' (CNSA) ने कहा कि अंतरिक्ष यान ने बुधवार की सुबह बीजिंग (Beijing) के समय के मुताबिक मंगल (Mars) की कक्षा में खुद को स्थापित करने के लिए प्रयास किया. इस नई कक्षा में ये अगले तीन महीने तक रहेगा, फिर मंगल की धरती पर लैंड करने का प्रयास करेगा.
CNSA ने बताया कि अंतरिक्ष यान अभी मंगल की सतह को मैपिंग करेगा. अपने कैमरों और अन्य सेंसर्स की मदद से यान आगे का डाटा जमा करेगा, ताकि लैंडिंग साइट को निर्धारित किया जा सके. तियानवेन-1 मंगल की कक्षा में ऐसे समय में पहुंचा है, जब पिछले गुरुवार को ही अमेरिका का परसिवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ग्रह के जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) के पास लैंड हुआ. परसिवरेंस रोवर का मकसद इस प्राचीन नदी डेल्टा के पास माइक्रोस्कोपिक जीवन (Microscopic life) की तलाश करना है.
मंगल पर रोवर लैंड कराते ही ये कारनामा करने वाला दूसरा देश बनेगा चीन
चीन अगर सफलतापूर्वक तियानवेन-1 (Tianwen-1) अंतरिक्ष यान को मंगल की सतह पर उतार देता है, तो वह अमेरिका (America) के बाद दूसरा ऐसा देश होगा, जो मंगल की सतह की अंतरिक्ष यान को उतार देगा. चीन का सौर ऊर्चा चालित वाहन एक गोल्फ कार्ट के आकार का है. ये सतह के भीतर मौजूद पानी की तलाश करेगा. इसके अलावा, इस बात के सबूत तलाश करेगा कि क्या ग्रह पर कभी माइक्रोस्कोपिक जीवन रहा है या नहीं. तियानवेन अंतरिक्ष यान को ये नाम एक प्राचीन कविता के नाम पर दिया गया है. इसका मतलब है 'स्वर्गीय सत्य की खोज.'
लैंडिंग की प्रक्रिया होती है सबसे चुनौतीपूर्ण
मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान का लैंड करना बेहद मुश्किल प्रक्रिया होती है. अभी तक एक दर्जन से अधिक ऑर्बिटर्स अपने तय शुदा जगह पर लैंड नहीं कर पाए हैं. 2011 में मंगल ग्रह तक भेजा जाने वाला एक चीनी ऑर्बिटर पृथ्वी की कक्षा से बाहर तक नहीं निकल पाया था. अपने यान को लैंड कराने के लिए चीन पैराशूट, रॉकेट फायरिंग और एयरबैग का प्रयोग करेगा. इसकी प्रस्तावित लैंडिंग साइट यूटोपिया प्लैनिटिया (Utopia Planitia) नामक एक विशाल चट्टानी मैदान है, जहां 1976 में अमेरिकी वाइकिंग 2 (Viking 2) लैंडर उतरा था.